हाइपरसोनिक शक्ति में भारत की छलांग, DRDO ने किया ET-LDHCM मिसाइल का सफल परीक्षण

    भारत की सैन्य शक्ति को एक नया आयाम मिला है. देश की अग्रणी रक्षा संस्था DRDO (Defence Research and Development Organisation) ने हाल ही में ET-LDHCM, यानी Extended Trajectory - Long Duration Hypersonic Cruise Missile का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया है.

    Hypersonic Missile DRDO Testing et ldhcm missile
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    भारत की सैन्य शक्ति को एक नया आयाम मिला है. देश की अग्रणी रक्षा संस्था DRDO (Defence Research and Development Organisation) ने हाल ही में ET-LDHCM, यानी Extended Trajectory - Long Duration Hypersonic Cruise Missile का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया है. यह परीक्षण ‘प्रोजेक्ट विष्णु’ के तहत किया गया, जिसे भारत की सबसे एडवांस और गुप्त सैन्य परियोजनाओं में गिना जा रहा है. इस कामयाबी के साथ भारत अब उस खास क्लब में शामिल होने की ओर बढ़ रहा है, जिसमें सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन जैसे कुछ ही देश शामिल हैं.

    क्या है ET-LDHCM मिसाइल और क्यों है खास?

    ET-LDHCM कोई साधारण मिसाइल नहीं है. यह एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो न केवल दुश्मन के रडार से बच सकती है, बल्कि उसकी एयर डिफेंस प्रणाली को भी चकमा देकर लक्ष्य को ध्वस्त कर सकती है.

    मुख्य विशेषताएं

    • रफ्तार: मैक 8 तक यानी लगभग 11,000 किमी/घंटा – यह इसे दुनिया की सबसे तेज़ मिसाइलों में एक बनाती है.
    • रेंज: 1500 किलोमीटर – ब्रह्मोस से लगभग तीन गुना अधिक.
    • पेलोड क्षमता: 1000 से 2000 किलो तक पारंपरिक या परमाणु हथियार.
    • इंजन: स्क्रैमजेट तकनीक – वातावरण से ऑक्सीजन खींचकर ईंधन जलाता है.
    • मैन्युवरिंग क्षमता: हवा में दिशा बदलने की क्षमता – दुश्मन की मिसाइल रोधी रक्षा को मात देने में सक्षम.
    • ताप प्रतिरोध: 2000°C तक गर्मी झेलने वाली हीट शील्ड – हाइपरसोनिक गति में जरूरी.
    • लॉन्च विकल्प: भूमि, जल और वायु – तीनों माध्यमों से लॉन्च किया जा सकता है.

    कहां तक मार कर सकती है ये मिसाइल?

    पाकिस्तान पर प्रभाव: पूरे पाकिस्तान की पहुंच में: भारत के पश्चिमी हिस्से से लॉन्च होने पर ये मिसाइल 90–95% पाकिस्तान को कवर करती है – जिसमें लाहौर, इस्लामाबाद, कराची और रावलपिंडी जैसे बड़े शहर शामिल हैं. बलूचिस्तान जैसे दूरस्थ क्षेत्र ही कुछ हद तक इसकी पहुंच से बाहर हो सकते हैं.

    चीन पर असर: चीन का क्षेत्रफल काफी बड़ा है, लेकिन यह मिसाइल तिब्बत, शिंजियांग, युन्नान जैसे रणनीतिक क्षेत्रों तक आसानी से पहुंच सकती है. भारत की सीमा से 1500 किमी की रेंज में आने वाले लगभग 25–30% चीनी क्षेत्र इसकी जद में हैं.

    रणनीतिक मायने क्या हैं?

    पाकिस्तान के खिलाफ: ब्रह्मोस की सफलता के बाद यह मिसाइल और अधिक गहराई में जाकर दुश्मन के मुख्य सैन्य ढांचों को तबाह कर सकती है. चीन के संदर्भ में: यह भारत की 'Deterrence Strategy' को मजबूत करता है, खासकर इंडो-पैसिफिक में. वैश्विक स्तर पर: भारत अब उन देशों की कतार में है, जो हाइपरसोनिक हथियारों पर अधिकार रखते हैं – यह सामरिक शक्ति का बड़ा संकेत है.

    तकनीकी चुनौतियां और आगे की राह: इस मिसाइल को बनाना कोई आसान काम नहीं था. स्क्रैमजेट इंजन और हाई-टेम्परेचर मटीरियल के निर्माण में DRDO ने कई साल लगाए. हाल ही में इस मिसाइल का 1000 सेकंड लंबा ग्राउंड रन टेस्ट सफल रहा – जो भविष्य की विश्वसनीयता का संकेत है.

    भविष्य में उपयोग: अंतरिक्ष प्रक्षेपण, आपदा प्रबंधन, निजी क्षेत्र के लिए तकनीक हस्तांतरण और रोजगार के अवसर

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