नेपाल की राजधानी काठमांडू और देश के अन्य हिस्सों में हाल ही में भड़की हिंसा ने न केवल राजनीतिक अस्थिरता को उजागर किया है, बल्कि देश की आर्थिक और बुनियादी ढांचे पर भी गंभीर असर डाला है. खासकर 9 और 10 सितंबर को जो उग्र विरोध प्रदर्शन हुए, उन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित इमारतों और व्यवसायों को अपनी चपेट में ले लिया. सबसे अधिक ध्यान खींचा है राजधानी के हिल्टन होटल को, जिसे प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया.
हिल्टन होटल: नेपाल की अंतरराष्ट्रीय पहचान
नेपाल का यह हिल्टन होटल न केवल देश का सबसे ऊंचा पांच सितारा होटल था, बल्कि यह देश की पर्यटन क्षमता और आधुनिक वास्तुशिल्प का भी प्रतीक बन चुका था. इस होटल का निर्माण पिछले वर्ष ही पूरा हुआ था, जिस पर लगभग ₹5 अरब भारतीय रुपए (नेपाली करेंसी में लगभग 8 अरब NPR) खर्च किए गए थे.
यह प्रोजेक्ट नेपाल के शंकर ग्रुप द्वारा विकसित किया गया था और इसमें दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं जोड़ी गई थीं. यह होटल काठमांडू के पर्यटन मानचित्र पर एक नई चमक बनकर उभरा था. लेकिन अब, यह सिर्फ एक जली हुई इमारत और राख का ढेर बन गया है.
व्यापक हिंसा से देश भर में तबाही का मंजर
हिल्टन होटल ही नहीं, बल्कि देश की अनेक सरकारी और निजी इमारतों को निशाना बनाया गया. प्रदर्शनकारियों ने सिंह दरबार (प्रधानमंत्री कार्यालय), सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रपति भवन, और कई अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर हमला किया.
इसके अलावा, नामी कॉर्पोरेट प्रतिष्ठान जैसे:
भी इस हिंसा की चपेट में आकर या तो पूरी तरह तबाह हो गए या गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुए.
बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर भी हमला
नेपाल के विराटनगर और इटहरी जैसे वाणिज्यिक शहरों में भीड़ ने बैंकों और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुँचाया. तोड़फोड़ की खबरें इन प्रमुख बैंकों से सामने आईं:
बैंक शाखाओं में तोड़फोड़, एटीएम मशीनों को नुकसान और रिकॉर्ड रूम जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं.
बीमा कंपनियों पर संकट
नेपाल इंश्योरेंस एसोसिएशन (NIA) ने अनुमान लगाया है कि इस हालिया हिंसा की वजह से बीमा कंपनियों को ₹31 अरब (नेपाली रुपए में करीब 50 अरब NPR) तक के बीमा दावों का सामना करना पड़ सकता है. यह आंकड़ा 2015 के विनाशकारी भूकंप के नुकसान से तीन गुना अधिक है, जिससे बीमा कंपनियों में हड़कंप मच गया है.
फिलहाल NIA और नेपाल राष्ट्र बैंक मिलकर नुकसान के सटीक आकलन में जुटे हैं, लेकिन शुरुआती अनुमानों से ही यह स्पष्ट है कि देश के बीमा उद्योग के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा संकट हो सकता है.
बीमा पॉलिसियों की सीमा
विशेषज्ञों का मानना है कि अधिकांश बीमा धारकों को इस बार पूर्ण क्लेम मिलने की संभावना कम है, क्योंकि इस प्रकार की हिंसा आमतौर पर 'पॉलिटिकल वॉयलेंस', 'आतंकवाद', या 'सिविल अनरेस्ट' जैसी श्रेणियों में आती है, जिनके लिए बीमा प्रीमियम बहुत कम होते हैं, और क्लेम प्रक्रिया कठिन होती है.
नेपाल की सांस्कृतिक विरासत को भी क्षति
इस हिंसा का शिकार सिर्फ आधुनिक ढांचे नहीं बने, बल्कि नेपाल की वास्तुकला और सांस्कृतिक धरोहर को भी गंभीर नुकसान पहुंचा है. खासतौर पर अमेरिकी आर्किटेक्ट लुईस आई कान द्वारा डिज़ाइन की गई स्वास्थ्य और जनसंख्या मंत्रालय की ऐतिहासिक इमारत में भी आग लगा दी गई. यह इमारत 1965 में बनी थी और अब इसे काफी क्षति पहुंची है.
डॉ. बाबूराम मरासिनी, जो पहले महामारी नियंत्रण विभाग के निदेशक रह चुके हैं, उन्होंने बताया, "यह भवन हमारे देश की वास्तुकला का अनमोल उदाहरण था. दुनियाभर के आर्किटेक्ट छात्र इसे देखने और अध्ययन करने के लिए आते थे. इस तरह की ऐतिहासिक संपत्तियों का नुकसान अपूरणीय है."
यह इमारत 1988 और 2015 के बड़े भूकंपों में भी बिना क्षति के बची थी, लेकिन राजनीतिक उथल-पुथल की आग को नहीं झेल सकी.
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