नई दिल्ली: हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब पाकिस्तान ने भारत पर मिसाइल और ड्रोन से हमला किया, तो भारतीय वायु सुरक्षा प्रणाली, खासकर S-400 'सुदर्शन चक्र', ने इन खतरों को प्रभावी ढंग से नाकाम किया. भारतीय सेना के अनुसार, पाकिस्तान की ओर से दागी गई 300 से 400 मिसाइलों में से अधिकांश को हवाई मार्ग में ही इंटरसेप्ट कर निष्क्रिय कर दिया गया. इस घटना ने एक बार फिर S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की ताकत और रणनीतिक भूमिका को राष्ट्रीय चर्चा में ला दिया है.
भारत और रूस के बीच S-400 सौदा
भारत ने वर्ष 2018 में रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम के 5 स्क्वॉड्रन खरीदने के लिए लगभग 35,000 करोड़ रुपये का समझौता किया था. इसके तहत प्राप्त सिस्टम को भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन सीमा पर रणनीतिक रूप से तैनात किया गया है.
S-400 की क्षमताएं:
मोबाइल सिस्टम: इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर जल्दी तैनात किया जा सकता है.
रडार कवरेज: लगभग 600 किलोमीटर की दूरी तक 300 से अधिक टारगेट को ट्रैक कर सकता है.
मारक रेंज: यह 400 किमी तक आने वाले टारगेट को निशाना बना सकता है.
प्रतिक्रिया क्षमता: एक समय में 72 मिसाइलें लॉन्च करने में सक्षम.
मल्टी-मिसाइल सिस्टम: इसमें विभिन्न रेंज की मिसाइलों का संयोजन होता है- 40, 100, 200 और 400 किमी तक.

मिसाइल दागने की अनुमानित लागत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार:
रणनीतिक निवेश या महंगा सौदा?
S-400 जैसे सिस्टम की लागत निश्चित रूप से अधिक है, लेकिन जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो, खासकर दुश्मन की मिसाइलों और ड्रोन हमलों को रोकने की, तो यह निवेश सामरिक दृष्टि से अमूल्य बन जाता है. एक सफल इंटरसेप्शन सैकड़ों नागरिकों की जान और करोड़ों की संपत्ति को बचा सकता है.
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