बदल गया हरियाणा का नक्शा! हांसी को 193 साल बाद फिर मिला जिले का दर्जा, मैप भी आया सामने; जानें सबकुछ

    Hansi New District: 1832 में जब हांसी से जिला का दर्जा छिन गया था, तब से लेकर अब तक इस क्षेत्र के लोग लगातार इसके पुनर्निर्माण के लिए संघर्ष करते रहे. अब, 193 साल बाद, हांसी को यह उपहार मिला है.

    Haryana new district Hansi got district status map revealed
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    Hansi New District: 16 दिसंबर 2025, हरियाणा के प्रशासनिक इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन के रूप में अंकित होगा, जब हांसी को फिर से जिला का दर्जा दिया गया. यह सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय नहीं था, बल्कि ऐतिहासिक संघर्ष और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण का परिणाम था. 1832 में जब हांसी से जिला का दर्जा छिन गया था, तब से लेकर अब तक इस क्षेत्र के लोग लगातार इसके पुनर्निर्माण के लिए संघर्ष करते रहे. अब, 193 साल बाद, हांसी को यह उपहार मिला है.

    हांसी के संघर्ष की गाथा

    हांसी को जिला बनाने की मांग को जगाने का श्रेय रिटायर्ड फौजी रामनिवास फौजी को जाता है. 2013 में शहीद भगत सिंह पार्क से शुरू हुआ उनका धरना 94 दिनों तक चला, और इसके बाद साइकिल यात्राओं, पैदल यात्राओं और आमरण अनशन जैसे कई लोकतांत्रिक आंदोलनों के जरिए यह आंदोलन तेज हुआ. 50,000 से ज्यादा हस्ताक्षरों के साथ मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया और 2018-19 में लघु सचिवालय के पास आमरण अनशन और 103 दिनों तक चले धरने ने इस आंदोलन को एक ऐतिहासिक मोड़ दिया.

    हांसी का आर्थिक महत्व

    हांसी हमेशा से आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है. एक समय यह कपास उद्योग का बड़ा केंद्र था, यहां 50 से अधिक खल-बिनौला फैक्ट्रियां सक्रिय थीं. आज भी हांसी का जूती उद्योग पूरे देश में प्रसिद्ध है, और यहां की राइस मिलों से विदेशों में चावल की आपूर्ति होती है. अब जब हांसी जिला बन चुका है, तो व्यापार, निवेश और रोजगार के नए अवसर मिलेंगे.

    हांसी का ऐतिहासिक महत्व

    हांसी का किला, जिसे 'हिंदुस्तान की दहलीज' कहा जाता है, 12वीं शताब्दी में पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण था. यह किला उत्तर-पश्चिम से होने वाले आक्रमणों को रोकने का पहला बड़ा दुर्ग था. इसके अलावा हांसी की चार कुतुब दरगाह, जो 13वीं शताब्दी में सूफी परंपरा के महान केंद्र रहे, आज भी सांप्रदायिक सौहार्द और सांस्कृतिक समन्वय का प्रतीक हैं.

    राखीगढ़ी - सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख केंद्र

    राखीगढ़ी, जो हांसी क्षेत्र में स्थित है, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है. यह स्थल सरस्वती और दृषद्वती नदियों के तट पर स्थित था और यहां के उत्खनन से हड़प्पा काल की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है. यह स्थान भारतीय उपमहाद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा हड़प्पा नगर है.

    हांसी की 'लाल सड़क' और 'आमटी तालाब'

    हांसी की लाल सड़क 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का गवाह है, जहां क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने दमन का शिकार बनाया. वहीं, आमटी तालाब की कहानी राजा श्रीपाल की पुत्री अमृति के बलिदान से जुड़ी है, जिन्होंने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए तालाब में कूदकर प्राणों की आहुति दी. यह घटना हांसी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है.

    हांसी के जिला बनने के बाद का विकास

    हांसी के जिला बनने के साथ ही इस क्षेत्र में प्रशासनिक और आर्थिक ढांचे में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है. अब हांसी में जिला बजट, उपायुक्त कार्यालय, जिला एवं सत्र न्यायालय, जिला पुलिस प्रशासन और अन्य विभागों के दफ्तर स्थापित होंगे, जिससे लोगों को हिसार जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. इससे समय, संसाधन और आर्थिक बोझ दोनों की बचत होगी.

    नए अवसर और संभावनाएं

    अब हांसी में प्रशासनिक कार्य स्थानीय स्तर पर होंगे, जिससे लोगों को सुविधा होगी. हांसी में जिला न्यायालय और अन्य न्यायिक सुविधाएं स्थापित होंगी. विकास के नए आयाम खुलेंगे, जिससे क्षेत्रीय आधार पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. नए विकास कार्यों से बुनियादी ढांचा तेज़ी से विकसित होगा. जिले के विकास से व्यापार और उद्योग को बढ़ावा मिलेगा.

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