हैती, जहां कानून की पकड़ अक्सर अपराधियों तक नहीं पहुंच पाती, वहां एक महिला ने खुद ही न्याय की परिभाषा बदल दी। पोर्ट-ऑ-प्रिंस के एक शांत से दिखने वाले इलाके में एक ऐसी घटना घटी, जिसने स्थानीय प्रशासन से लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया तक को चौंका दिया है। एक महिला, जिसने अपने पूरे परिवार को गैंग की हिंसा में खो दिया था, एक सुनियोजित बदले की कार्रवाई में 40 गैंगस्टरों की जान ले ली।
हैती के केन्सकॉफ जिले में यह घटना तब हुई जब महिला ने 'पैटे' नाम की स्थानीय डिश में जहरीला पदार्थ मिलाकर उसे 'विव अंसान्म' नामक गैंग के सदस्यों को खिला दिया। यह वही गैंग था, जिसने महिला के पति, बच्चों और अन्य परिजनों की हत्या की थी।
कैसे रची गई यह साजिश?
महिला, जो वर्षों से इलाके में स्ट्रीट फूड बेचने का काम करती थी, गैंग के लोगों के बीच एक परिचित चेहरा थी। उसने गैंग के सदस्यों को मुफ्त में पैटे (गुझिया जैसी डिश) देने का प्रस्ताव रखा, यह कहकर कि यह उनकी 'सेवा' के लिए एक छोटा-सा तोहफा है। असल में, यह बदले की एक बहुत ही गुप्त और ठोस रणनीति थी। पैटे खाने के कुछ ही समय बाद सभी 40 गैंगस्टरों की तबीयत बिगड़ गई और कुछ ही घंटों में उनकी मौत हो गई।
गैंग की क्रूरता और महिला की हिम्मत
'विव अंसान्म' हैती के सबसे खतरनाक गैंग्स में से एक है, जिसका संबंध कुख्यात अपराधी जिमी चेरीजियर उर्फ 'बारबेक्यू' से है। यह गैंग राजधानी के 80% हिस्से पर कब्जा जमाए बैठा है और लोगों के दिलों में खौफ बन चुका है। जहां आम लोग इन गैंगस्टरों के खिलाफ आवाज उठाने से डरते हैं, वहीं इस महिला ने अपनी जान की परवाह किए बिना वह कदम उठाया, जो अब बहस का विषय बन चुका है — क्या यह बदला न्याय था या एक और अपराध?
बदले की आग और उसके बाद की आगजनी
घटना के बाद महिला को बदले की आशंका थी। वह तुरंत अपना घर छोड़कर भाग गई, और यह निर्णय सही साबित हुआ क्योंकि कुछ ही दिनों में गैंग के लोगों ने उसका घर जला दिया। बाद में महिला ने खुद पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया और अपनी योजना स्वीकार की। उसने दावा किया कि उसने यह पूरी योजना अकेले बनाई और किसी की मदद नहीं ली।
अब क्या होगा?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह महिला अपराधी है या न्याय की प्रतीक? क्या उसे 40 लोगों की हत्या के लिए सजा मिलेगी, या उसकी कहानी को आत्मरक्षा और प्रतिशोध की एक मिसाल माना जाएगा? हैती में कानून और अपराध के बीच की लड़ाई में यह घटना एक नई बहस छेड़ चुकी है — जब व्यवस्था असफल हो जाए, तो क्या आम नागरिकों के पास खुद न्याय लेने का हक होना चाहिए?
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