'फ्लेमिंगो' यूक्रेन की घातक मिसाइल, घबरा जाएंगे पुतिन! 3000KM रेंज; जानें ताकत

    रूस-यूक्रेन युद्ध अब उस मोड़ पर पहुंच चुका है, जहां हथियार ही कूटनीति की भाषा बन गए हैं. इसी बीच, यूक्रेन ने एक ऐसा हथियार सामने रखा है, जिसने रणनीतिक समीकरणों को झकझोर दिया है.

    Flamingo Missile Ukraine Can use this against russia know its power
    Image Source: Social Media

    रूस-यूक्रेन युद्ध अब उस मोड़ पर पहुंच चुका है, जहां हथियार ही कूटनीति की भाषा बन गए हैं. इसी बीच, यूक्रेन ने एक ऐसा हथियार सामने रखा है, जिसने रणनीतिक समीकरणों को झकझोर दिया है.

    'फ्लेमिंगो' नाम की यह नई क्रूज मिसाइल न केवल तकनीकी रूप से बेहद उन्नत है, बल्कि इसका संदेश भी साफ है यूक्रेन अब युद्ध सिर्फ रक्षा के लिए नहीं, बल्कि रूस के भीतर तक मार करने की क्षमता के साथ लड़ रहा है.

    ‘फ्लेमिंगो’ की खासियतें: मारक क्षमता और डिजाइन

    यूक्रेनी हथियार निर्माता फायर पॉइंट द्वारा तैयार की गई इस मिसाइल की लंबाई लगभग 6 मीटर है और वजन लगभग 6 टन. यह एक मानवरहित क्रूज मिसाइल है, जो हाई-सबसोनिक स्पीड पर उड़ान भर सकती है. इसके अंदर एक टन तक का भारी वारहेड लगाया जा सकता है, जो इसे गंभीर स्तर की तबाही का माध्यम बनाता है. रेंज: 3,000 किलोमीटर तक. उपयोग: टारगेट शहर  मॉस्को, सेंट पीटर्सबर्ग सहित रूस के कई आंतरिक क्षेत्र. लॉन्च सिस्टम: ग्राउंड-बेस्ड या एयर-लॉन्च विकल्प संभव.तकनीक: FP-5 मॉडल से प्रेरित, लेकिन पूरी तरह स्थानीय रूप से निर्मित

    रूस के लिए खतरे की घंटी क्यों है ये मिसाइल?

    अब तक रूस के बड़े शहरों को युद्ध की प्रत्यक्ष आग से बचा लिया गया था. लेकिन अगर फ्लेमिंगो जैसी मिसाइलें राजधानी तक बार-बार पहुंचने लगें, तो यह राजनीतिक स्थिरता को झकझोर सकती है. इतिहास गवाह है कि जब नागरिक आबादी पर युद्ध की आँच आती है, तब शासन की नींव हिलने लगती है.

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    अमेरिका का वियतनाम से बाहर निकलना. इन दोनों उदाहरणों में आम जनता का विरोध निर्णायक साबित हुआ था. यूक्रेन की चुनौती: एक ताकतवर हथियार, लेकिन आसान नहीं है उपयोग

    'फ्लेमिंगो' जितनी ताकतवर है, उतनी ही संवेदनशील भी है.


    यह मिसाइल क्रूज कैटेगरी की है  यानी धीमी गति से लंबी दूरी तय करती है. मॉस्को और अन्य प्रमुख शहरों में रूस ने सख्त एयर डिफेंस सिस्टम लगा रखा है. इसलिए, अकेले एक-दो मिसाइलों से असर की उम्मीद करना व्यावहारिक नहीं होगा.

    यूक्रेन को क्या करना होगा?

    झुंड में मिसाइलें छोड़नी होंगी. डिकॉय (छलावा मिसाइलें) शामिल करनी होंगी. इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर तकनीक से रडार को भ्रमित करना होगा, अमेरिकी MALD सिस्टम जैसे हथियार मददगार हो सकते हैं.

    'फ्लेमिंगो' सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि तकनीकी आत्मनिर्भरता का संकेत है

    इस मिसाइल की असल अहमियत इसके रेंज या पेलोड में नहीं, बल्कि इस तथ्य में है कि यूक्रेन अब अपनी उच्च-तकनीक मिसाइलें खुद बना रहा है. जहां पहले कीव ड्रोन और मिसाइलों के लिए पश्चिमी देशों पर निर्भर था, अब उसकी हथियार इंडस्ट्री आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही है.

    क्या 'फ्लेमिंगो' गेमचेंजर साबित होगी?

    विशेषज्ञ मानते हैं कि अकेले ‘फ्लेमिंगो’ युद्ध की दिशा नहीं बदल सकती. लेकिन अगर यूक्रेन दर्जनों क्रूज मिसाइलें, डिकॉय सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग, बैलिस्टिक हमले का संयुक्त उपयोग करता है, तो वह रूस की आंतरिक सुरक्षा को गंभीर चुनौती दे सकता है. यह स्थिति पुतिन सरकार के लिए राजनीतिक अस्थिरता की नींव बन सकती है — और शायद वही यूक्रेन की रणनीति भी है.

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