मायामी बीच में चल रहे Art Basel इवेंट में इस बार कुछ ऐसा देखने को मिला जिसने तकनीक, कला और समाज—तीनों की सीमाएं धुंधला कर दीं. मशहूर डिजिटल आर्टिस्ट Beeple, यानी माइक विंकेलमैन, एक बार फिर अपने बोल्ड एक्सपेरिमेंट के साथ सामने आए. इस बार उन्होंने दुनिया के सबसे प्रभावशाली टेक अरबपतियों मार्क जुकरबर्ग, एलन मस्क और जेफ बेजोस—को ऐसे रूप में पेश किया कि देखने वाले दंग रह गए.
Beeple की Regular Animals नाम की प्रदर्शनी में इन अरबपतियों को हाइपर-रियलिस्टिक रोबोट डॉग्स के रूप में दिखाया गया. कलाकार Landon Meier द्वारा बनाए गए जीवंत मास्क इन रोबोट्स पर लगाए गए थे, जो इतने असली लग रहे थे कि दर्शक उन्हें देखकर ठिठक गए. यह कलात्मक प्रयोग कोई साधारण मज़ाक नहीं था—यह आधुनिक तकनीकी सत्ता पर एक तीखी टिप्पणी थी.
कला बनाम टेक्नोलॉजी, ‘कौन चला रहा है समाज?’
Mashable की रिपोर्ट बताती है कि Beeple इस प्रोजेक्ट के जरिए यह दिखाना चाहते थे कि आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स समाज की राय बनाने में किस हद तक प्रभावशाली हो चुके हैं. पहले कलाकार और लेखक लोगों की सोच का नेतृत्व करते थे, लेकिन आज Facebook, Instagram और X (पूर्व Twitter) जैसे प्लेटफॉर्म अरबों लोगों पर गहरा असर डालते हैं. Beeple का संदेश साफ था—टेक अरबपतियों की शक्ति अब इतनी बढ़ चुकी है कि वे समाज की दिशा तय करने वाले “नए इन्फ्लुएंसर” बन गए हैं.
विचित्र वीडियो, डरावना एहसास और ‘poop mode’
प्रदर्शनी का सबसे वायरल हिस्सा था रोबोट डॉग्स का पब्लिक स्पेसेज़ में घूमना. कई लोगों को उनका रहस्यमयी अंदाज़ डरावना लगा.वीडियो के एक सीन में ये मशीनें पीछे की ओर झुककर एक प्रिंट निकालती हैं—और उसी वक्त स्क्रीन पर “poop mode” जैसा टेक्स्ट दिखाई देता है. इसने दर्शकों में ठहाके भी लगाए और असहजता भी पैदा की. सोशल मीडिया पर इसे ‘रोबोटिक पॉटी परफॉर्मेंस’ कहकर चुटकुले बनने लगे.
विवादों के बावजूद भारी सफलता
जहां कुछ लोगों ने इस कला को “ओवर द टॉप” कहा, वहीं कई लोगों ने इसे Beeple की सबसे साहसी और सटीक सामाजिक आलोचनाओं में से एक बताया.विवाद और चर्चा का असर ये हुआ कि प्रदर्शनी में शामिल सभी रोबोट डॉग्स निजी कलेक्टरों ने खरीद लिए.हर एक की कीमत करीब 1 लाख डॉलर बताई गई, जिससे Beeple की यह प्रस्तुति न सिर्फ वायरल हुई, बल्कि आर्थिक रूप से भी जबरदस्त सफल रही. Beeple की यह प्रस्तुति एक बार फिर साबित करती है कि जब कला तकनीक से टकराती है, तो नतीजा हमेशा सिर्फ मनोरंजन नहीं होता.कभी-कभी यह समाज को आईना भी दिखा देती है और वह आईना जितना साफ होता है, उतना ही असहज भी लगता है.
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