पटना: बिहार की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब राजद नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने यह आरोप लगाया कि उनका नाम चुनाव आयोग द्वारा जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में शामिल नहीं है. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर वह वोटर लिस्ट में नहीं हैं, तो आगामी विधानसभा चुनाव में वह उम्मीदवारी कैसे दर्ज कर पाएंगे.
तेजस्वी ने यह दावा शनिवार, 2 अगस्त 2025 को पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया. उन्होंने पत्रकारों के सामने चुनाव आयोग के मोबाइल ऐप पर अपनी EPIC आईडी (मतदाता पहचान संख्या) दर्ज कर उसका स्क्रीन रिकॉर्डिंग भी दिखाया और कहा कि उनके नाम का कोई रिकॉर्ड वहां मौजूद नहीं है.
उनकी इस शिकायत ने राजनीतिक गलियारों से लेकर प्रशासन तक में बहस छेड़ दी. लेकिन कुछ ही घंटों के भीतर इस पर भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India - ECI) की स्पष्ट प्रतिक्रिया सामने आई और वह तेजस्वी के आरोपों से बिलकुल विपरीत थी.
तेजस्वी का नाम 416वें नंबर पर दर्ज है- चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने एक औपचारिक बयान में तेजस्वी यादव के दावे को “तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक” बताया. आयोग ने कहा, "यह हमारे संज्ञान में आया है कि तेजस्वी प्रसाद यादव ने यह दावा किया है कि उनका नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में नहीं है. यह दावा पूरी तरह गलत है. हमारा रिकॉर्ड दिखाता है कि उनका नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 416वें क्रमांक पर दर्ज है. इसीलिए उनका दावा तथ्यात्मक रूप से असत्य है."
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि तेजस्वी के आरोप से पहले या बाद में कोई भी आधिकारिक आपत्ति या दावा आयोग के पास दाखिल नहीं किया गया है.
तेजस्वी का दावा और चुनाव आयोग का जवाब?
तेजस्वी यादव का आरोप केवल व्यक्तिगत चिंता नहीं है, बल्कि एक संभावित प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करने की कोशिश थी. उन्होंने अपने मोबाइल पर चुनाव आयोग के एप्लीकेशन के जरिए EPIC नंबर डालकर चेक किया, और कहा कि उनके नाम की कोई एंट्री मौजूद नहीं है. उन्होंने इसका वीडियो भी पत्रकारों को दिखाया, जिससे यह संदेश देने की कोशिश की गई कि सिस्टम में गड़बड़ी है.
हालांकि, आयोग ने तकनीकी पक्ष को लेकर फिलहाल कोई विश्लेषण साझा नहीं किया है, लेकिन यह संभव है कि तेजस्वी ने या तो गलत निर्वाचन क्षेत्र चुना हो, या सिस्टम में किसी स्थानीय अपडेट का इंतजार हो रहा हो.
यह ध्यान देने योग्य है कि वर्तमान में जो सूची जारी की गई है वह ड्राफ्ट (Draft) है, फाइनल नहीं. इसमें संशोधन, दावे और आपत्तियों की प्रक्रिया एक सितंबर तक चलती रहेगी.
एक सितंबर को आएगी फाइनल वोटर लिस्ट
बिहार में स्पेशल समरी रिवीजन (Special Intensive Revision - SIR) की प्रक्रिया इस वर्ष बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं. वर्तमान में जारी ड्राफ्ट लिस्ट केवल एक प्रारंभिक सूची है, जो सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए जारी की जाती है.
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पहले ही स्पष्ट किया है कि 1 अगस्त से 1 सितंबर के बीच सभी नागरिकों और राजनीतिक दलों को दावे और आपत्तियां दर्ज कराने का अधिकार होगा. इसका मतलब है कि अगर तेजस्वी यादव का नाम किसी त्रुटिवश सूची से गायब होता — तो भी उनके पास नाम जुड़वाने के लिए पूरा एक महीना होता.
चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि, "तेजस्वी यादव समेत सभी नागरिकों को SIR प्रक्रिया के तहत अपनी जानकारी अपडेट करने, नाम जुड़वाने या गलतियों को ठीक कराने के लिए पूरा अवसर दिया जा रहा है."
राजनीति बनाम प्रक्रियात्मक सत्य
तेजस्वी यादव के इस बयान ने विपक्षी राजनीति को एक बार फिर चुनाव आयोग के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश की. उन्होंने यह संकेत देने की कोशिश की कि शायद उन्हें जानबूझकर वोटर लिस्ट से बाहर किया गया है, ताकि वे आगामी चुनाव में हिस्सा न ले सकें.
लेकिन आयोग की तरफ से तत्काल और सटीक प्रतिक्रिया ने यह साफ कर दिया कि तेजस्वी का दावा न केवल गलत है, बल्कि बिना तथ्यों की पुष्टि के किया गया था.
यह मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि क्या नेताओं को सार्वजनिक रूप से आरोप लगाने से पहले तथ्यों की पूरी जानकारी नहीं लेनी चाहिए? और क्या ऐसे संवेदनशील मामलों में आयोग के सिस्टम को और पारदर्शी और सुलभ बनाने की जरूरत है?
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