नई दिल्लीः अगर आप दिल्ली में रहते हैं, तो सबसे बड़ी रोज़मर्रा की जंग आपके लिए सड़कों पर ही लड़ी जाती है. ऑफिस पहुंचने की दौड़, बच्चों को स्कूल छोड़ने की जल्दी या फिर शाम को घर लौटते वक्त रेड लाइट्स और हॉर्न की वह बेहिसाब रेल, ट्रैफिक दिल्लीवालों की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी परेशानी बन चुकी है. अब राजधानी की सरकार इसी लड़ाई को खत्म करने के लिए एक नई रणनीति के साथ मैदान में उतरी है.
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने राजधानी की सड़क व्यवस्था को पूरी तरह बदलने के लिए एक ऐतिहासिक इंफ्रास्ट्रक्चर योजना को मंज़ूरी दी है. योजना का फोकस दिल्ली की इनर रिंग रोड पर है, जिसे अब एक एलिवेटेड कॉरिडोर में तब्दील किया जाएगा. ये सिर्फ सड़क नहीं, दिल्ली के रोज़मर्रा के जीवन में राहत की एक नई परत होगी.
एलिवेटेड रिंग रोड: 8000 करोड़ की मेगा परियोजना
दिल्ली के पीडब्ल्यूडी मंत्री परवेश वर्मा ने इस बात की पुष्टि की है कि सरकार अब 55 किलोमीटर लंबे इनर रिंग रोड को एलिवेटेड कॉरिडोर में बदलने जा रही है. मौजूदा सड़कों के ऊपर खंभों पर टिकी नई सड़क बनाई जाएगी, जिससे ज़मीन पर मौजूद ट्रैफिक पर बोझ घटेगा. इस मेगा प्रोजेक्ट में करीब 6,000 से 8,000 करोड़ रुपये तक खर्च होने का अनुमान है.
एक किलोमीटर एलिवेटेड रोड बनाने में लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, और जब आप लूप्स, इंटरचेंज और रैंप्स जोड़ते हैं तो कुल लंबाई करीब 80 किलोमीटर तक पहुंच जाती है. यानी यह सिर्फ एक निर्माण परियोजना नहीं, बल्कि दिल्ली के ट्रैफिक सिस्टम में एक नई क्रांति है.
शुरुआत कहां से होगी?
पहले चरण में एलिवेटेड कॉरिडोर मजनूं का टीला से धौला कुआं तक बनेगा. इसके रास्ते में मायापुरी, नारायणा, राजौरी गार्डन और पंजाबी बाग जैसे ट्रैफिक-हॉटस्पॉट शामिल हैं. इस कॉरिडोर के बनने से इन इलाकों की कनेक्टिविटी और यात्रा समय में 30 से 40 फीसदी की कमी आ सकती है. साथ ही, पेट्रोल-डीजल की खपत में भी बड़ी कटौती होगी.
प्रोजेक्ट टाइमलाइन और स्टेटस
सरकार ने लक्ष्य रखा है कि यह पूरा प्रोजेक्ट 2028 तक पूरा कर लिया जाए. अभी पीडब्ल्यूडी विभाग इसकी डीपीआर तैयार कर रहा है, सर्वे और डिजाइन का काम शुरू हो चुका है. भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण मंजूरी जैसी प्रक्रियाएं भी तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं. यानी कागज़ों से निकलकर ये प्रोजेक्ट अब ज़मीन पर उतरने की दिशा में बढ़ रहा है.
बाहरी दिल्ली के लिए भी एक और कॉरिडोर
केवल रिंग रोड तक ही बात नहीं है. सरकार ने मुनक नहर पर भी एक 20 किमी लंबे एलिवेटेड कॉरिडोर की योजना बनाई है, जो बवाना से इंद्रलोक तक जाएगा. इस पर लगभग 3000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. यह प्रोजेक्ट बाहरी दिल्ली को रिंग रोड से जोड़ने में अहम कड़ी बनेगा और राजधानी के ट्रैफिक का संतुलन सुधारने में मदद करेगा.
नतीजा क्या होगा?
अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला तो आने वाले तीन से चार सालों में दिल्ली एक नई पहचान के साथ उभरेगी — एक ऐसा शहर जहां रफ्तार रुकेगी नहीं, जहां रेड लाइट की कतारें छोटी होंगी, और जहां ऑफिस पहुंचने की घड़ी से पहले पसीना नहीं छूटेगा. ये सिर्फ एक निर्माण योजना नहीं, बल्कि दिल्ली की सांसों को खोले रखने की कोशिश है.
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