अंतरिक्ष से लौटेंगे भारत के गर्व, शुभांशु शुक्ला, जानिए पूरा मिशन और वापसी की तैयारी

    Axiom Mission: भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, जो हाल ही में एक्सिओम-4 मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर गए थे, अब जल्द ही पृथ्वी की धरती पर लौटने वाले हैं.

    Axiom Mission Shubhanshu Shukla will go in rehabilitation after 7 days
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    Axiom Mission: भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, जो हाल ही में एक्सिओम-4 मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर गए थे, अब जल्द ही पृथ्वी की धरती पर लौटने वाले हैं. केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जानकारी दी है कि शुक्ला 15 जुलाई को दोपहर करीब 3 बजे धरती पर वापसी करेंगे. यह मिशन 14 दिन के अनुसंधान और परीक्षणों के साथ अब अपने अंतिम चरण में है.

    कैसे रही स्पेस की यात्रा?

    इस मिशन में शुक्ला ने चार सदस्यीय अंतरिक्ष दल के साथ कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिया. इनमें रक्त परीक्षण, माइक्रोएल्गी (सूक्ष्म शैवाल) का निरीक्षण और नैनोमटेरियल्स पर अध्ययन शामिल रहा. माइक्रोएल्गी को भविष्य में अंतरिक्ष में भोजन और ऑक्सीजन स्रोत के रूप में देखा जा रहा है. इसके साथ ही क्रू मेंबर्स की सेहत की निगरानी के लिए पहने जाने वाले उपकरणों की जांच और मांसपेशियों पर इलेक्ट्रिकल स्टिमुलेशन की प्रतिक्रिया का भी परीक्षण किया गया.

    वापसी की प्रक्रिया और तैयारी

    स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल 14 जुलाई की शाम को ISS से अनडॉक करेगा और 15 जुलाई की दोपहर तक पृथ्वी पर उतरने की उम्मीद है. इस पूरे अभियान को नासा और Axiom Space द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है, और शुभांशु शुक्ला इस मिशन में पायलट की अहम भूमिका निभा रहे हैं.

    क्यों जरूरी है पृथ्वी पर आने के बाद रिहैब?

    माइक्रोग्रैविटी यानी सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण वाले वातावरण में लंबे समय तक रहने से शरीर पर कई असर होते हैं. मांसपेशियों की ताकत घट जाती है, संतुलन और प्रतिक्रिया समय पर असर होता है, और रक्त संचार प्रणाली को भी दोबारा स्थिर करने की जरूरत पड़ती है. इसीलिए, नासा 7 दिनों का एक विशेष रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम लागू करता है, जिसमें लौटे हुए अंतरिक्ष यात्री शारीरिक रूप से फिर से सामान्य स्थिति में लौट सकें.

    रिहैब में किन चरणों से गुजरेंगे?

    शुरुआत में हल्की-फुल्की एक्सरसाइज कराई जाती है ताकि चलने-फिरने की क्षमता लौटाई जा सके. फिर कार्डियो फिटनेस, लचीलापन, संतुलन और शरीर के समन्वय को बढ़ाने वाली गतिविधियां होती हैं. ये पूरी प्रक्रिया वैज्ञानिकों की निगरानी में होती है और हर अंतरिक्ष यात्री के लिए अलग-अलग स्तर पर डिज़ाइन की जाती है.

    शुभांशु का 18 दिनों का मिशन और तुलना

    शुभांशु शुक्ला का मिशन कुल 18 दिनों का रहा है, इसलिए उनका रिहैब लगभग एक सप्ताह का होगा. तुलना करें तो, भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स जब 600 से अधिक दिन अंतरिक्ष में बिताकर लौटी थीं, तो उन्हें 45 दिनों की पुनर्वास प्रक्रिया से गुजरना पड़ा था.

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