बेंगलुरु: आईटी हब होने के साथ-साथ एक सांस्कृतिक संगम भी है, लेकिन इस शहर में एक मुद्दा है जो बार-बार सुर्खियों में आता है. भाषा को लेकर टकराव. हाल ही में सामने आए एक वायरल वीडियो ने इस बहस को फिर से हवा दे दी है, जिसमें एक पैसेंजर और ऑटो ड्राइवर के बीच कन्नड़ बनाम हिंदी को लेकर तीखी बहस होती नजर आ रही है.
बेंगलुरु में हो, तो हिंदी बोलो
इस वीडियो में एक व्यक्ति गुस्से में ऑटो ड्राइवर से कहता है. अगर बेंगलुरु में रहना है तो हिंदी में बात करो." वहीं उसके साथ मौजूद दोस्त उसे शांत कराने की कोशिश करते दिखते हैं. जवाब में ऑटो ड्राइवर तुरंत पलटवार करता है."तुम बेंगलुरु आए हो, कन्नड़ में बात करो। मैं हिंदी नहीं बोलूंगा. " दोनों के बीच बहस का टोन तेजी से गर्म हो जाता है.
ಹಿಂದಿ ನಮ್ಮ ರಾಷ್ಟ್ರ ಭಾಷೆ ಅಲ್ಲ. pic.twitter.com/sKBlGmbdX0
— ವಿನಯ್. ಎಸ್. ರೆಡ್ಡಿ (@Vinayreddy71) April 18, 2025
सोशल मीडिया पर फिर छिड़ा भाषा का युद्ध
वीडियो को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर @Vinayreddy71 ने शेयर किया है, जिसे अब तक 8 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है. मामला महज दो लोगों की लड़ाई से निकलकर सोशल मीडिया पर एक बड़ी बहस का रूप ले चुका है, जहां कन्नड़ भाषी यूजर्स ने अपनी नाराजगी ज़ाहिर की है.
लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं
एक यूजर ने लिखा कि "बेंगलुरु में अधिकतर लोग हिंदी समझते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप स्थानीय भाषा की अनदेखी करें. दूसरे यूजर ने तंज कसते हुए कहा कि "अधिकतर उत्तर भारतीय कभी भी लोकल लैंग्वेज सीखने की कोशिश नहीं करते. चाहे वह कन्नड़ हो या तमिल जहां रहते हैं, वहां की भाषा का सम्मान करें. एक और प्रतिक्रिया में कहा गया कि "हिंदी को थोपने की कोशिश अब अहंकार जैसी लगती है. कोई तमिल, बंगाली या मराठी बोलने वाला कभी ऐसा दबाव नहीं बनाता। भाषा संवाद का ज़रिया होनी चाहिए, शक्ति प्रदर्शन का नहीं. बेंगलुरु जैसे बहुसांस्कृतिक शहर में भाषा को लेकर संवेदनशीलता समझना बेहद जरूरी है. संवाद की कोशिश जहां मेल-जोल बढ़ाती है, वहीं भाषा थोपने की मानसिकता दूरी बढ़ा सकती है.