भारत के इस घातक हथियार का मुरीद हुआ अर्मेनिया, बेड़े में और शामिल करने की कर रहा तैयारी

    भारत अब केवल हथियार खरीदने वाला देश नहीं रहा, बल्कि उसने अपने स्वदेशी हथियारों को दुनिया के विभिन्न देशों को बेचना शुरू कर दिया है. अर्मेनिया ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारत से पहले 12 ATAGS तोपें खरीदी थीं, और अब वह इनकी संख्या बढ़ाकर 80 और तोपें खरीदने की योजना बना रहा है.

    Armenia Is Buying ATAGS 12 stag gun from india
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    भारत अब केवल हथियार खरीदने वाला देश नहीं रहा, बल्कि उसने अपने स्वदेशी हथियारों को दुनिया के विभिन्न देशों को बेचना शुरू कर दिया है. अर्मेनिया ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारत से पहले 12 ATAGS तोपें खरीदी थीं, और अब वह इनकी संख्या बढ़ाकर 80 और तोपें खरीदने की योजना बना रहा है. इस सौदे को लेकर बातचीत भी तेज़ हो गई है.

    ATAGS (Advanced Towed Artillery Gun System) तोप भारत की प्रमुख रक्षा परियोजना का हिस्सा है, जिसे DRDO और निजी कंपनियों जैसे टाटा और कल्याणी ग्रुप ने मिलकर तैयार किया है. यह 155mm/52 कैलिबर की तोप है, और इसका परीक्षण 48 किलोमीटर तक फायरिंग की क्षमता को साबित कर चुका है, जो इसे दुनिया के कई अन्य तोपों से ज्यादा शक्तिशाली बनाता है.

    ATAGS तोप: एक तकनीकी चमत्कार

    ATAGS की मारक क्षमता और इसकी तकनीकी विशेषताएँ इसे वैश्विक मानक से एक कदम आगे ले जाती हैं. यह तोप लगातार अधिक गोले दाग सकती है, और इसकी जल्दी से फिर से तैयार होने की क्षमता इसे युद्ध के मैदान में अत्यधिक प्रभावी बनाती है. इसमें एडवांस टारगेटिंग और कंट्रोल सिस्टम लगे हैं, जिससे गोली की सटीकता सुनिश्चित होती है.

    अर्मेनिया का भारत से हथियारों की खरीदारी बढ़ाना क्यों महत्वपूर्ण है?

    अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच दशकों पुराना तनाव रहा है, खासकर नागोर्नो-कराबाख जैसे क्षेत्र को लेकर. इस लंबे संघर्ष के बीच, अर्मेनिया की स्थिति तब और भी जटिल हो गई जब रूस ने पहले की तरह उसे रक्षा सामग्री मुहैया नहीं कराई. ऐसे में अर्मेनिया को अब नए सहयोगियों की तलाश थी, और भारत उसके लिए एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में उभरा. ATAGS तोप जैसी उच्च तकनीकी क्षमता वाली तोपें अर्मेनिया को अपनी सीमाओं पर बैठे हुए दुश्मन के ठिकानों को मारने की ताकत प्रदान करती हैं.

    भारत और अर्मेनिया के बीच 2024 में हुए रक्षा समझौते से यह साफ हो गया है कि अर्मेनिया भारत से और अधिक हथियार खरीदने का इच्छुक है. इससे पहले, अर्मेनिया ने भारत की स्वदेशी आकाश मिसाइल प्रणाली को भी खरीदी थी, जिससे ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मन के कैंपों में हलचल मचाई थी.

    भारत के लिए यह रक्षा सौदा महत्वपूर्ण क्यों है?

    यह सौदा भारत के लिए कई कारणों से महत्वपूर्ण है. सबसे पहले, यह भारतीय रक्षा उद्योग की बढ़ती ताकत को दर्शाता है. जहां पहले भारत केवल हथियारों का आयातक था, अब वह एक निर्यातक के रूप में उभर रहा है. 2024 में भारत का रक्षा निर्यात 2.5 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, और पिछले 20 वर्षों में भारत ने रूस से 60 अरब डॉलर के हथियार खरीदे हैं. अब भारत अपने मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत स्वदेशी हथियार बना कर दुनिया भर में निर्यात कर रहा है.

    ATAGS की ताकत

    ATAGS का रेंज 48 किलोमीटर तक है, जिससे यह दुनिया की कई तोपों से कहीं अधिक दूरी तक हमला कर सकता है. इसकी सटीकता और उच्च गति से गोले दागने की क्षमता इसे युद्ध के मैदान में एक अहम हथियार बनाती है. यह तोप खासतौर पर दुश्मन के बंकरों, किलों, फौजी जमावड़ों और रनवे जैसे रणनीतिक ठिकानों को दूर से ही नष्ट करने में सक्षम है. अर्मेनिया के लिए यह तोपें खास तौर पर महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह उन्हें अपनी सीमाओं पर बैठे हुए दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाने की ताकत देती हैं. इसके अलावा, भारत और अर्मेनिया के बीच बढ़ती रक्षा साझेदारी भविष्य में अन्य देशों के लिए भी एक उदाहरण बनेगी, जो भारत के बढ़ते रक्षा निर्यात और आत्मनिर्भरता को दिखाती है.

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