फिर ऑस्ट्रेलिया के पीएम बनेंगे एंथनी अल्बनीज, चुनाव में लेबर पार्टी को मिली जीत, विपक्ष ने मानी हार

    ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में संपन्न हुए आम चुनावों में लेबर पार्टी ने बहुमत के आंकड़े को पार करते हुए एक बार फिर सत्ता में वापसी की है. अब तक की मतगणना के अनुसार, पार्टी को 85 सीटों पर सफलता मिल चुकी है, जबकि बहुमत के लिए आवश्यक आंकड़ा 76 सीटों का है.

    Anthony Albanese will again become the PM of Australia, Labor Party won the election, opposition accepted defeat
    एंथनी अल्बनीज/Photo- ANI

    कैनबरा: ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में संपन्न हुए आम चुनावों में लेबर पार्टी ने बहुमत के आंकड़े को पार करते हुए एक बार फिर सत्ता में वापसी की है. अब तक की मतगणना के अनुसार, पार्टी को 85 सीटों पर सफलता मिल चुकी है, जबकि बहुमत के लिए आवश्यक आंकड़ा 76 सीटों का है. इसके साथ ही मौजूदा प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज लगातार दूसरी बार देश का नेतृत्व करने जा रहे हैं.

    विपक्षी लिबरल-नेशनल गठबंधन को अब तक 31 सीटों पर विजय मिली है. गठबंधन ने हार स्वीकार करते हुए लेबर पार्टी को बधाई दी है. यह 21 वर्षों में पहली बार है जब कोई प्रधानमंत्री लगातार दो कार्यकालों के लिए चुना गया है.

    मुख्य प्रतिद्वंद्वी और मतदान प्रक्रिया

    इस बार का चुनाव मुख्य रूप से दो दावेदारों के बीच था – एंथनी अल्बनीज (लेबर पार्टी) और पीटर डटन (लिबरल-नेशनल गठबंधन). ऑस्ट्रेलियाई संसद 28 मार्च 2025 को भंग कर दी गई थी, जिसके बाद सरकार केयरटेकर मोड में चली गई थी. मतदान की प्रक्रिया 22 से 30 अप्रैल के बीच पोस्टल वोटिंग के माध्यम से संपन्न हुई.

    2022 की तुलना में प्रदर्शन

    2022 के पिछले आम चुनाव में लेबर पार्टी को 77 सीटें मिली थीं, जबकि लिबरल गठबंधन को 58 सीटों पर सफलता मिली थी. इस बार लेबर पार्टी ने अपनी स्थिति और अधिक मजबूत की है.

    ऑस्ट्रेलियाई लोकतंत्र की विशेषताएं

    • ऑस्ट्रेलिया में निचला सदन (हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स) की 150 सीटें होती हैं, जिनमें से बहुमत प्राप्त करने वाली पार्टी या गठबंधन सरकार बनाता है.
    • सीनेट (ऊपरी सदन) की 76 में से 40 सीटों के लिए इस बार मतदान हुआ.
    • सभी नागरिकों के लिए मतदान अनिवार्य है और अनावश्यक रूप से मतदान न करने पर 20 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का जुर्माना लगता है.
    • 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी नागरिक न केवल वोट दे सकते हैं, बल्कि चुनाव भी लड़ सकते हैं.

    चुनावी मुद्दे जो मतदाताओं के केंद्र में रहे

    महंगाई और ब्याज दरें: बढ़ती महंगाई से आम नागरिकों की क्रय शक्ति प्रभावित हुई है. दोनों प्रमुख दलों ने आर्थिक राहत के वादे किए.

    आवास संकट: घरों की कीमतें आम ऑस्ट्रेलियनों की पहुंच से बाहर हो रही हैं, विशेषकर युवा वर्ग के लिए.

    जलवायु परिवर्तन: बीते वर्षों की प्राकृतिक आपदाएं इस मुद्दे को चर्चा में ले आईं. लेबर पार्टी रिन्युएबल एनर्जी में निवेश कर रही है, जबकि विपक्ष न्यूक्लियर विकल्पों की बात कर रहा है.

    स्वास्थ्य सेवाएं: विशेष रूप से महिला मतदाताओं ने बेहतर स्वास्थ्य ढांचे की मांग को प्राथमिकता दी.

    जनता के रुझानों में भी लेबर को बढ़त

    चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में भी लेबर पार्टी को स्पष्ट बढ़त मिलती दिखाई दी थी. अधिकांश अनुमानों में पार्टी को 84 से अधिक सीटें मिलने की संभावना जताई गई थी. हालांकि, कुछ विश्लेषकों ने त्रिशंकु संसद (हंग पार्लियामेंट) की स्थिति की भी संभावना जताई थी, जैसा कि 2010 में जूलिया गिलार्ड के कार्यकाल में देखने को मिला था.

    ये भी पढ़ें- 450KM रेंज, 500-700 KG हथियार... पाकिस्तान ने किया अब्दाली बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण, जानिए क्षमता