Ganesh Visarjan 2025: भीगी सड़कों पर उमड़ा आस्था का सैलाब, अनंत चतुर्दशी पर मुंबई ने बप्पा को दी विदाई

    Ganesh Visarjan 2025: शनिवार की सुबह से ही मुंबई की फिज़ाओं में कुछ अलग ही जादू घुला हुआ था. आसमान से टपकती बूंदें भी उस उत्साह को नहीं रोक सकीं, जो अनंत चतुर्दशी के पावन दिन पर हर गली, हर चौराहे और हर दिल में उमड़ रहा था.

    A wave of faith swelled on the wet streets Mumbai bid farewell to Bappa on Anant Chaturdashi
    Image Source: ANI

    Ganesh Visarjan 2025: शनिवार की सुबह से ही मुंबई की फिज़ाओं में कुछ अलग ही जादू घुला हुआ था. आसमान से टपकती बूंदें भी उस उत्साह को नहीं रोक सकीं, जो अनंत चतुर्दशी के पावन दिन पर हर गली, हर चौराहे और हर दिल में उमड़ रहा था. गणपति बप्पा को विदा करने निकली मुंबई, मानो एक साथ गा रही हो, "गणपति बप्पा मोरया, अगले साल तू जल्दी आना!"

    मुंबई की सड़कों पर सिर्फ भक्तों की भीड़ नहीं थी, बल्कि आस्था की परंपरा थी, संस्कृति की झलक थी और भावनाओं की बौछार थी. ढोल-ताशों की थाप, गुलाल की उड़ान, और फूलों की वर्षा ने विसर्जन यात्रा को दिव्यता से भर दिया.

    लालबाग, गणेश गली, परेल और दादर जैसे इलाकों से बप्पा की विशाल प्रतिमाएं बैंड-बाजों के साथ निकल रही थीं. बप्पा के दर्शन के लिए सड़क के दोनों ओर खड़े लोग अपने मोबाइल कैमरों से पल को कैद कर रहे थे, और आंखों से विदाई की नमी साफ झलक रही थी.

    लालबागचा राजा की प्रतीक्षा में शहर

    हालांकि अभी तक मुंबई का सबसे प्रसिद्ध गणेश मंडल लालबागचा राजा की यात्रा शुरू नहीं हुई थी. अंतिम तैयारियों के बीच लोग बेसब्री से इस पल का इंतजार कर रहे थे. जैसे ही बप्पा गिरगांव चौपाटी की ओर रवाना होंगे, एक बार फिर पूरे शहर की धड़कनें तेज हो जाएंगी.

    गिरगांव चौपाटी: आस्था का महासागर

    मुंबई की गिरगांव चौपाटी, जहां हर साल बप्पा का भव्य विसर्जन होता है, इस बार भी आस्था से लबालब थी. हजारों श्रद्धालु वहां पहले से ही जमा थे. आसपास के क्षेत्रों जैसे फोर्ट, माझगांव, चेंबूर, सायन, दादर और माटुंगा से प्रतिमाएं धीरे-धीरे चौपाटी पहुंच रही थीं.

    हर विसर्जन के साथ लोगों की आंखों में श्रद्धा और चेहरे पर मुस्कान के पीछे छिपा विदाई का दर्द साफ नजर आ रहा था. लेकिन उम्मीद वही थी, बप्पा अगले साल फिर आओगे!

    जब आस्था बन जाए उत्सव

    अनंत चतुर्दशी न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि मुंबई के लिए एक सांस्कृतिक उत्सव है, जहां धर्म, संगीत, कला और समाज मिलकर एक साथ झूमते हैं. और इस बार भी, मुंबई ने दिखा दिया कि चाहे बारिश हो या भीड़, बप्पा की विदाई हमेशा दिल से होती है.

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