'चेहरे की सुंदरता...', महाकुंभ में पहुंची 'साध्वी हर्षा' पर क्यों भड़के शंकराचार्य?

प्रयागराज महाकुंभ के पहले अमृत स्नान में मॉडल और एंकर हर्षा रिछारिया के शामिल होने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.

Maha Kumbh Why did Shankaracharya get angry at Sadhvi Harsha
साध्वी हर्षा और शंकराचार्य | Photo: Instagram

Harsha Richaria: प्रयागराज महाकुंभ के पहले अमृत स्नान में मॉडल और एंकर हर्षा रिछारिया के शामिल होने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. जब उन्हें महामंडलेश्वर की रॉयल रथ पर बैठाया गया, तो ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस पर आपत्ति जताई और इसे गलत बताया है.

क्या बोले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती?

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अनुसार, महाकुंभ में इस तरह की परंपरा शुरू करना पूरी तरह से गलत है और यह एक विकृत मानसिकता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि महाकुंभ में शरीर की सुंदरता नहीं, बल्कि हृदय की सुंदरता को देखा जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि यह सही नहीं है कि किसी ऐसे व्यक्ति को, जो अभी तक संन्यास लेने या विवाह करने का निर्णय नहीं ले सका है, रथ पर संतों और महात्माओं के साथ बिठाया जाए. उनके अनुसार, अगर हर्षा रिछारिया एक भक्त के रूप में शामिल होतीं तो ठीक था, लेकिन उन्हें रथ पर भगवा कपड़े में बैठाना गलत है.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने यह भी कहा कि सनातन धर्म के प्रति समर्पण जरूरी है और महाकुंभ में केवल उन्हीं व्यक्तियों को साधारण वस्त्र पहनने का अधिकार होना चाहिए, जिन्होंने जीवन के एक मार्ग को अपनाया है. उन्होंने यह उदाहरण दिया कि जैसे पुलिस की वर्दी केवल पुलिसकर्मियों को दी जाती है, वैसे ही संतों के लिए केवल वे लोग सफेद वस्त्र पहन सकते हैं जिन्होंने संन्यास लिया हो.

हर्षा रिछारिया ने क्या कहा था?

हर्षा रिछारिया ने अमृत स्नान के बाद अनुभव को दिव्य बताया और खुद को "साध्वी" कहे जाने पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने गुरु से लगभग ढाई साल पहले दीक्षा ली थी, लेकिन अभी तक संन्यास लेने या विवाह करने के बारे में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है.

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