बेंगलुरू (कर्नाटक): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के स्पैडेक्स मिशन की डॉकिंग तारीख के नजदीक आने के साथ ही वैज्ञानिक और सेवानिवृत्त प्रोफेसर रमेश चंद्र कपूर ने कहा कि उपग्रहों को ले जाने वाले रॉकेट लॉन्च के चार दिनों के भीतर लोबिया (काउपिया) के बीजों का अंकुरित होना सबसे दिलचस्प प्रयोगों में से एक रहा है.
साइंटिस्ट ने क्या बताया?
कपूर ने एएनआई को बताया, "सबसे दिलचस्प प्रयोगों में से एक सूक्ष्म-जैविक अध्ययन है, साथ ही यह भी कि अंतरिक्ष में जीवन कैसे समर्थित है. प्रक्षेपण के चार दिनों के भीतर ही लोबिया के बीज अंकुरित हो गए हैं."
उन्होंने कहा, "हमारे सामने एक रोमांचक क्षण आने वाला है, क्योंकि इसरो इन-ऑर्बिट डॉकिंग मैकेनिज्म तकनीक का परीक्षण करने जा रहा है, जिसे उसने स्वदेशी रूप से विकसित किया है. इसरो ने पीएसएलवी रॉकेट का उपयोग करके अंतरिक्ष में जुड़वां उपग्रहों को लॉन्च किया है. कक्षा जमीन से 470 किमी ऊपर है और दोनों उपग्रहों को पृथ्वी के चारों ओर एक ही कक्षा दी गई है."
वैज्ञानिक ने बताया कि इसरो ने सुनिश्चित किया कि अंतरिक्ष में अलग होने पर दोनों उपग्रहों के बीच 20 किलोमीटर की दूरी बनी रहे. कपूर ने कहा कि आईआरएसओ इन-ऑर्बिट डॉकिंग मैकेनिज्म का परीक्षण कर रहा है, जहां वे दोनों उपग्रहों को करीब लाने की तैयारी कर रहे हैं.
इन-ऑर्बिट डॉकिंग मैकेनिज्म का परीक्षण
सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने कहा, "इसरो ने सुनिश्चित किया कि दोनों (उपग्रहों) के बीच एक निश्चित सापेक्ष वेग दिया जाए ताकि अलग होने पर वे 20 किलोमीटर की दूरी बनाए रख सकें, भले ही वे एक ही कक्षा में हों. इसरो का विचार इन-ऑर्बिट डॉकिंग मैकेनिज्म का परीक्षण करना है. इसरो धीरे-धीरे दोनों उपग्रहों को एक ही कक्षा में बनाए रखते हुए एक-दूसरे के करीब लाने की तैयारी कर रहा है."
कपूर ने आगे कहा कि उपग्रहों का वजन लगभग 220 किलोग्राम है और उन्हें अपना वेग बनाए रखते हुए "बिल्कुल" अलाइन करना होगा.
उन्होंने कहा, "यह आसान लगता है लेकिन प्रक्रिया जटिल है. दोनों उपग्रह समान हैं और प्रत्येक का वजन लगभग 220 किलोग्राम है. इस कार्य के लिए एक मार्गदर्शन एल्गोरिदम होगा और उन्हें अपना वेग बनाए रखते हुए बिल्कुल अलाइन करना होगा."
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