येरेवन/नई दिल्ली: आर्मेनिया के विदेश मंत्री अरारत मिर्जोयन ने भारत के साथ रक्षा सहयोग को और मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि "मेड इन इंडिया" हथियार उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. भारत दौरे के दौरान मिर्जोयन ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की.
रक्षा आधुनिकीकरण में भारत अहम
आर्मेनिया अपने रक्षा ढांचे को आधुनिक बनाने और सैन्य क्षमताओं में सुधार लाने की प्रक्रिया में है. इस संदर्भ में, मिर्जोयन ने कहा कि भारतीय रक्षा उपकरण उनकी सेना के लिए उपयोगी साबित होंगे.
उन्होंने स्पष्ट किया कि आर्मेनिया की रक्षा नीति किसी भी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह केवल अपनी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए है.
भारत से रक्षा उपकरणों की निरंतर आपूर्ति
पिछले कुछ वर्षों में, आर्मेनिया ने भारत से कई प्रकार के रक्षा उपकरण खरीदे हैं. आर्मेनिया को भारत से उसने रॉकेट-लांचर, तोपखाने बंदूकें, गोला-बारूद, स्नाइपर राइफलें, एंटी-टैंक मिसाइलें खरीदी हैं. ऐसे में एक बार फिर आर्मेनिया ने भारत से हथियार खरीद की इच्छा जताई है.
भारत और आर्मेनिया के बीच यह सहयोग केवल सैन्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक मजबूत राजनीतिक साझेदारी का भी प्रतीक है.
आर्थिक और रणनीतिक सहयोग का विस्तार
मिर्जोयन ने भारत के साथ आर्थिक सहयोग को बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई और चाबहार बंदरगाह के माध्यम से व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ाने में रुचि दिखाई. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों के प्रति भारत के रुख का समर्थन किया और जम्मू-कश्मीर पर भारत की स्थिति को भी सही ठहराया.
भारत-आर्मेनिया के ऐतिहासिक संबंध
विदेश मंत्री मिर्जोयन ने भारत और आर्मेनिया के ऐतिहासिक संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच शिक्षा, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और बढ़ावा दिया जाएगा. उन्होंने भारतीय छात्रों को आर्मेनिया में अध्ययन के लिए आमंत्रित किया और दिल्ली-येरेवन के बीच सीधी उड़ान सेवा शुरू करने की उम्मीद जताई.
क्षेत्रीय स्थिरता के लिए प्रतिबद्धता
अजरबैजान के साथ जारी तनाव को लेकर पूछे गए सवाल पर मिर्जोयन ने स्पष्ट किया कि आर्मेनिया का उद्देश्य केवल अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना है, न कि किसी अन्य देश के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई करना.
आगे की राह
भारत और आर्मेनिया के बीच रक्षा सहयोग के बढ़ने से दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे. रक्षा क्षेत्र के अलावा व्यापार, शिक्षा और कूटनीतिक स्तर पर भी दोनों देश आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
ये भी पढ़ें- महिलाओं के लिए नरक बना बांग्लादेश, हर सरकार में लगातार बढ़ रही है रेप की घटनाएं, देखें आंकड़े