नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एनसीपी नेता नवाब मलिक को अंतरिम मेडिकल जमानत देने के अपने पहले के आदेश को 'पूर्ण' कर दिया.
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने विशेष अदालत द्वारा निर्धारित शर्तों के अधीन अंतरिम जमानत को स्थायी कर दिया. अंतरिम जमानत को बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष उनके द्वारा दायर नियमित जमानत याचिका के निपटारे तक पूर्ण या स्थायी कर दिया गया था.
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मलिक के वकील ने कहा- मुवक्किल कई बीमारियों से पीड़ित
मलिक की ओर से पेश हुए वकील ने पीठ को बताया कि उनके मुवक्किल कई बीमारियों से पीड़ित हैं और उनका एक फेफड़ा खराब हो गया है.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अंतरिम जमानत की याचिका का विरोध नहीं किया और कहा कि अंतरिम मेडिकल जमानत को स्थायी किया जा सकता है.
मलिक अगस्त 2023 से अंतरिम मेडिकल बेल पर हैं. अगस्त 2023 में, शीर्ष अदालत ने मलिक को 2 महीने के लिए मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत दी थी, जिसे अक्टूबर में 3 महीने के लिए बढ़ा दिया गया था.
शीर्ष अदालत बढ़ाती रही उनकी अंतरिम जमानत
शीर्ष अदालत समय-समय पर उनकी अंतरिम जमानत बढ़ाती रही है. मलिक ने पहले बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसने अस्थायी मेडिकल बेल याचिका को खारिज कर दिया था. मलिक ने स्वास्थ्य आधार पर जमानत मांगते हुए पहले शीर्ष अदालत के समक्ष दावा किया था कि वह कई अन्य बीमारियों के अलावा क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित हैं.
2022 में ईडी ने मलिक को किया था गिरफ्तार
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फरवरी 2022 में मलिक को गिरफ्तार किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 1999-2006 के बीच दाऊद इब्राहिम की दिवंगत बहन हसीना पारकर की मदद से कुर्ला में एक संपत्ति हड़पी थी. ईडी ने आरोप लगाया कि चूंकि पारकर दाऊद के अवैध कारोबार को संभालती थी, इसलिए पैसे का इस्तेमाल आखिरकार आतंकी फंडिंग के लिए किया गया.
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