नई दिल्ली/कोलकाता : लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के विपक्ष के नेता, संसद में पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (PAC) के चेयरपर्सन अधीर रंजन चौधरी ने एक दिन पहले तृणमूल कांग्रेस (TMC) प्रमुख ममता बनर्जी के INDIA गठबंधन को बाहर से समर्थन देने के बयान पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा वह यह बयान बंगाल में अपनी पार्टी की जीत में मदद पाने के लिए दे रही हैं. उन्होंने ममता को उन्हें अवसरवादी करार दिया है.
गौरतलब है कि एक दिन पहले ममता बनर्जी ने कहा था अगर इंडिया गठबंधन सत्ता में आता है तो वह उसे बाहर से समर्थन देंगी, जिसके बाद कांग्रेस नेता और बंगाल में कांग्रेस पार्टी के बड़ा चेहरा अधीर रंजन चौधरी की यह प्रतिक्रिया सामने आई है.
ये भी बता दें कि इंडिया गठबंधन बनने के समय से ही इसके साथ रहने वाली ममता बनर्जी बाद में इससे अलग हो गई थीं. जिसके बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. ऐसा माना जा रहा है कि अधीर रंजन चौधरी के टीएमसी के खिलाफ दिए गए बयानों से नाराजगी बढ़ी थी, जिसके बाद उन्होंने राज्य में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया था.
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अधीर रंजन बोले- ममता बनर्जी चुनावी फायदे के लिए दे रही हैं ऐसा बयान
टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ''...ममता बनर्जी के इंडिया गठबंधन (INDIA alliance) छोड़ने की क्या वजह थी?...''...इंडिया गठबंधन आगे बढ़ रहा है और सरकार बनाने की कगार पर है, और यही कारण है कि एक अवसरवादी राजनीतिक नेता के रूप में उन्होंने (ममता) एडवांस में समर्थन देने के बारे में सोचा, ताकि इंडिया ब्लॉक को उनका यह समर्थन पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ने में मदद कर सके. वह अब कच्ची जमीनी हकीकत को समझ रही हैं कि मतदाता इंडिया ब्लॉक के गठबंधन की ओर बढ़ रहे हैं. सियासी माहौल के इस भंवर में ममता बनर्जी अलग-थलग पड़ जाएंगी, क्योंकि वही वो नेता हैं, जो कभी गठबंधन का नेतृत्व करने का दंभ भरती थीं. किस बात ने उन्हें इंडिया गठबंधन छोड़ने के लिए प्रेरित किया? यह तो आज तक उन्होंने स्पष्ट नहीं किया...?"
अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "अब, मुझे लगता है कि वह देशभर में बहुत तेजी से बदल रहे हालात को समझ गई हैं. इसलिए, अब वह इंडिया गठबंधन की वकालत इसलिए कर रही हैं क्योंकि केवल इंडिया गठबंधन देश को और अधिक विनाश व निराशा से बचा सकता है. वह अपनी राजनीतिक नींद से जाग चुकी हैं. केवल इंडिया गठबंधन का हवाला देकर वह पश्चिम बंगाल में अपना चेहरा और किस्मत बचा सकती हैं."
टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने ये दिया था बयान
वहीं, टीएमसी (TMC) प्रमुख ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव के चार चरण बीत जाने के बाद अब बचे तीन और चरणों के चुनाव के बीच यह बयान दिया है. उन्होंने इंडिया गठबंधन की सरकार बनने की स्थिति में उसे बाहर से समर्थन देने की बात कही है.
उन्होंने एक दिन पहले एक चुनावी जनसभा में कहा था, "इंडिया गठबंधन अगर सत्ता में आता है तो वह उसे बाहर से समर्थन देंगी. हम गठबंधन को नेतृत्व देंगे और बाहर से इसे हर तरह से सपोर्ट करेंगे. हम ऐसी सरकार बनाएंगे, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि बंगाल में हमारी माताओं और बहनों को कोई समस्या न हो. जो लोग 100 दिन की नौकरी की योजना के तहत काम करते हैं उन्हें समस्या न हो."
ममता ने मतदाताओं को चेताते हुए कहा था, "आप लेफ्ट-कांग्रेस पर विचार ने करें. ये हमारे साथ नहीं हैं. वे बीजेपी साथ हैं. वे भाजपा की मदद कर रहे हैं. मैंने इंडिया गठबंधन को बनाने में अहम भूमिका निभाई है. यहां तक कि इस गठबंधन का नाम भी मैंने दिया था."
उन्होंने स्पष्ट किया था, "उनकी पार्टी केंद्र में इंडिया ब्लॉक को समर्थन देगी ताकि वह सरकार बना सके. भाजपा के सत्ता से बाहर होने पर हम नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) को रद्द करेंगे और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) व समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू होने से भी रोकेंगे."
इस बीच पश्चिम बंगाल में कुल 42 सीटों में से 18 सीटों पर मतदान हो चुका है. 24 सीटों पर अभी वोटिंग होनी बाकी है, राज्य में सभी 7 चरणों में मतदान होना है.
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ममता के बयान के पीछे इस बात को माना जा रहा है वजह
राज्य में गठबंधन पर बात न बन पाने के बाद ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी अकेले चुनाव मैदान में है. दूसरी तरफ भाजपा और कांग्रेस-लेफ्ट (वाम दल) साथ चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसा मान जा रहा है कि अगर वोटर ज्यादा कांग्रेस और लेफ्ट की तरफ गए तो उससे ममता की पार्टी को नुकसान हो सकता हैं क्योंकि भाजपा के वोटर जस के तस पार्टी के साथ बने हुए हैं.
2019 में कम वोट, सीटें गंवाना भी हो सकता है एक बड़ी वजह
वहीं, ममता के इस बयान को इस बात से भी जोड़कर देखा जा रहा है कि 2019 के चुनाव में भाजपा का जनाधार बढ़ा था और वह 42 सीट में से 18 सीट जीतकर राज्य में प्रमुख विपक्षी दल बन गई थी. टीएमसी ने कुल 43.7 फीसदी वोट 22 सीटें हासिल की थी और 19 सीटों पर दूसरे नंबर पर थी. जबकि वहीं भाजपा 40.6 प्रतिशत वोट के साथ 18 सीटें जीती थीं और 22 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी. जहां टीएमसी को कुल 2 करोड़ 47 लाख 56 हजार 985 वोट मिले थे, वहीं भाजपा को 2 करोड़ 30 लाख 28 हजार 343 वोट. दोनों पार्टियों के बीच 17 लाख वोट का फर्क था. जबकि कांग्रेस और लेफ्ट ने 68 लाख वोट हासिल किए थे.
2014 के लोकसभा चुनाव के आंकड़े टीएमसी के लिए थे बेहतर
वहीं 2014 के चुनाव में टीएमसी बेहतर स्थिति में थी. उसे कुल 39.8 फीसदी वोट के साथ 34 सीटें मिली थीं. जबकि बीजेपी को 17 फीसदी वोट के साथ 2 सीट. वहीं 9.7 प्रतिशत वोट के साथ कांग्रेस ने 4 सीटें जीती थीं और 23 फीसदी वोट के साथ सीपीएम को केवल 2 सीट ही मिल पाई थी.
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