कांवड़ यात्रा : 'नेमप्लेट' पर सिब्बल बोले- क्या ये विकसित भारत का रास्ता है, बेरोजगारी पर सरकार 'लापरवाह'

    सांसद कपिल सिब्बल ने कहा- आम आदमी का इन मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं, ऐसे मुद्दे बाद में संसद में उठाए जाएंगे और आर्थिक, राजनीतिक मुद्दों पर वहां चर्चा नहीं होगी.

    कांवड़ यात्रा : 'नेमप्लेट' पर सिब्बल बोले- क्या ये विकसित भारत का रास्ता है, बेरोजगारी पर सरकार 'लापरवाह'
    कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों पर नेमप्लेट को लेकर दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए सांसद कपिल सिब्बल | Photo- ANI

    नई दिल्ली : राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश की कड़ी आलोचना की है. यात्रा मार्ग पर दुकान मालिकों के अपने नाम प्रदर्शित करने के लिए, और नेताओं से विभाजनकारी मुद्दों के बजाय विकास को प्राथमिकता देने का आग्रह किया.

    सिब्बल ने जोर देकर कहा कि यात्रा के आस-पास चल रही बहस भारत की प्रगति को बाधित कर रही है और उन्होंने प्रधान मंत्री, गृहमंत्री और मुख्यमंत्रियों से राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे मामलों का इस्तेमाल करने से परहेज करने की अपील की.

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    संसद में ऐसे मुद्दों की वजह से मुख्य मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाएगी : कपिल सिब्बल

    अपनी टिप्पणी में, सिब्बल ने देश के सामने आने वाली दबावपूर्ण आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला, यह देखते हुए कि ये मुद्दे बेरोजगारी जैसी अधिक महत्वपूर्ण चिंताओं को ढंक देते हैं.

    राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "कांवड़ यात्रा पर जो राजनीति हो रही है, वह भारत को विकसित भारत बनाने की दिशा में नहीं ले जाएगी. प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और मुख्यमंत्रियों को ऐसे मुद्दे नहीं उठाने चाहिए...आम आदमी का इन मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है...ऐसे मुद्दे बाद में संसद में उठाए जाएंगे और आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों के मुद्दों पर वहां चर्चा नहीं होगी."

    सिब्बल ने इसे देश में बेरोजगारी पर सरकार की 'लापरवाही' करार दिया

    देश में बेरोजगारी की स्थिति के प्रति सरकार की "लापरवाही" को उजागर करते हुए सिब्बल ने उत्तर प्रदेश में हाल ही में नौकरी के लिए निकाली गए रिक्त पदों का हवाला दिया, जिसमें मात्र 60,000 पदों के लिए 47 लाख आवेदन आए थे. उन्होंने कहा, "मैं विशेष रूप से यूपी और उत्तराखंड के सीएम से कहना चाहूंगा कि इसे रोकें. कांवड़ यात्रा पहले भी हो चुकी है. जो लोग यात्रा पर जाते हैं, उन्हें सब पता होता है, कहां खाना है और कहां नहीं."

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    भाजपा नेता ने कहा- ऐसा कदम पहले मायावती, अखिलेश उठा चुके हैं

    उन्होंने सरकार की प्राथमिकताओं की आलोचना करते हुए कहा, "आगामी बजट से सभी को सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा" और "बच्चों की शिक्षा" और "बच्चों और महिलाओं" की स्थिति में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया. वहीं, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने दिशा-निर्देशों का बचाव करते हुए कहा कि इस तरह का कानून सबसे पहले उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव और मायावती की सरकार के दौरान लाया गया था.

    "यह कानून अखिलेश यादव सरकार, मायावती सरकार ने बनाया था. इस कानून में सभी बराबर हैं. इसमें असंवैधानिक क्या है? हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी को नेमप्लेट लगाना होगा. भाजपा कानून का सम्मान करती है."

    उत्तर प्रदेश की राह पर उत्तराखंड की सरकार भी चली

    उत्तर प्रदेश में विवाद के बीच हरिद्वार पुलिस प्रशासन ने भी कांवड़ यात्रा मार्ग पर रेस्टोरेंट मालिकों को नाम प्रदर्शित करने का आदेश जारी किया है.

    हरिद्वार एसएसपी पद्मेंद्र डोभाल ने कहा कि होटल, ढाबा और रेस्टोरेंट को निर्देश दिए गए हैं, उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

    उन्होंने पत्रकारों से कहा, "कांवड़ की तैयारियों को लेकर हमने कांवड़ मार्ग पर स्थित होटल, ढाबा, रेस्टोरेंट और ठेले वालों को सामान्य निर्देश दिए हैं कि वे अपनी दुकानों पर मालिक का नाम लिखेंगे और ऐसा न करने पर हम उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे. कई बार इस वजह से विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है, इसलिए हमने यह फैसला लिया है."

    समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव इसकी कर चुके हैं आलोचना

    समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस कदम की आलोचना की और अदालत से मामले पर स्वतः संज्ञान लेने का आग्रह किया. उन्होंने ऐसे आदेशों को "सामाजिक अपराध" करार दिया और कहा कि ऐसे आदेश क्षेत्र के शांतिपूर्ण माहौल को खराब कर सकते हैं. इस तरह के प्रशासन के पीछे सरकार की मंशा की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर कहा कि उचित दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए. ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं जो सौहार्द के शांतिपूर्ण माहौल को खराब करना चाहते हैं."

    पुलिस ने भोजनालय मालिकों से स्वेच्छा से नेमप्लेट लगाने को कहा था

    इससे पहले मुजफ्फरनगर पुलिस ने कहा कि पुलिस ने सभी भोजनालयों से अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम "स्वेच्छा से प्रदर्शित" करने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा कि इस आदेश का उद्देश्य किसी भी तरह का "धार्मिक भेदभाव" पैदा करना नहीं है, बल्कि केवल भक्तों की सुविधा के लिए है. श्रावण कांवड़ यात्रा के दौरान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रास्ते पड़ोसी राज्यों से बड़ी संख्या में कांवड़िये हरिद्वार से जल लेकर मुजफ्फरनगर जिले से गुजरते हैं.

    मुजफ्फरनगर पुलिस ने बताया कि श्रावण के पवित्र महीने में कई लोग, खासकर कांवड़िये, अपने खान-पान में कुछ खास खाद्य पदार्थों से परहेज करते हैं.

    पूर्व में भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां कांवड़ मार्ग पर सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ बेचने वाले कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानों के नाम इस तरह से रखे हैं, जिससे कांवड़ियों में भ्रम की स्थिति पैदा हुई और कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा हुई. ऐसा दोबारा न हो, इसके लिए श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए कांवड़ मार्ग पर खाद्य पदार्थ बेचने वाले होटलों, ढाबों और दुकानदारों से स्वेच्छा से अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने का अनुरोध किया गया है.

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