शांति के लिए युद्ध को तैयार रहे भारत, किसी भी हालत में इसे भंग नहीं किया जा सकता : राजनाथ सिंह

    रक्षामंत्री ने कहा- भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए मैंने सेना से कहा कि भारत और दुनिया में शांति बनाए रखने के लिए हमें हमेशा युद्ध को तैयार रहना चाहिए. किसी भी हालत में भारत की शांति भंग न हो.

    शांति के लिए युद्ध को तैयार रहे भारत, किसी भी हालत में इसे भंग नहीं किया जा सकता : राजनाथ सिंह
    यूपी की राजधानी लखनऊ में बोलते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह | Photo- @rajnathsingh के हैंडल से.

    लखनऊ : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को अपने पहले के बयान पर प्रतिक्रिया दी कि "सशस्त्र बलों को युद्ध के लिए तैयार रहने की जरूरत है". रक्षामंत्री ने कहा कि उन्होंने यह बयान इसलिए दिया ताकि किसी भी हालत में भारत की शांति को भंग न किया जा सके.

    भारत के 'वसुधैव कुटुम्बकम' के संदेश पर प्रकाश डालते हुए सिंह ने कहा कि भारत ने हमेशा शांति की वकालत की है लेकिन आज की भू-राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए भारत को हमेशा भारत और दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए युद्ध के लिए तैयार रहने की जरूरत है.

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    भारत दुनिया का एकमात्र देश जिसने वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया : राजनाथ

    मीडियाकर्मियों से बात करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, "भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसने 'वसुधैव कुटुम्बकम' का संदेश दिया है. भारत ने हमेशा शांति की वकालत की है और हमेशा करता रहेगा. लेकिन आज भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए मैंने सेना से कहा कि भारत और दुनिया में शांति बनाए रखने के लिए हमें हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए. मैंने कहा कि किसी भी परिस्थिति में भारत की शांति भंग न हो."

    लखनऊ दौरे के दौरान केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने शहर के खाटू श्याम मंदिर में पूजा-अर्चना भी की. 5 सितंबर को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन (जेसीसी) के उद्घाटन की अध्यक्षता की, जिसमें भविष्य की चुनौतियों के लिए तीनों सेनाओं के बीच एकजुटता और एकीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया गया.

    उन्होंने राष्ट्रीय हितों की रक्षा और 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन को आगे बढ़ाने में उनके अमूल्य योगदान के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की और तीनों सेनाओं के बीच एकजुटता और एकीकरण को आगे बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की.

    सम्मेलन की थीम 'सशक्त और सुरक्षित भारत: सशस्त्र बलों में बदलाव' के मुताबिक सिंह ने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है और शांति बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों को युद्ध के लिए तैयार रहने की जरूरत है.

    उकसावे पर तुरंत मिलकर प्रतिक्रिया पर दिया जोर

    उन्होंने संयुक्त सैन्य नजरिया विकसित करने और भविष्य के युद्धों में देश के सामने आने वाली चुनौतियों के लिए तैयारी करने के महत्व पर जोर दिया, साथ ही उकसावे पर समन्वित, त्वरित और आनुपातिक प्रतिक्रिया पर जोर दिया.

    रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास संघर्षों और बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति का जिक्र करते हुए रक्षामंत्री ने कमांडरों से इन घटनाओं का विश्लेषण करने, भविष्य में देश के सामने आने वाली समस्याओं की भविष्यवाणी करने और "अप्रत्याशित" चीजों से निपटने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया.

    उन्होंने उत्तरी सीमा पर स्थिति और पड़ोसी देशों में हो रही घटनाओं के मद्देनजर शीर्ष सैन्य नेतृत्व द्वारा व्यापक और गहन विश्लेषण की आवश्यकता पर जोर दिया, जो क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बन रहे हैं.

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