मुश्किल में पड़ा ईरान, तो साथ छोड़कर भागा पाकिस्तान, तेहरान से अपने राजनयिकों को वापस बुलाया

    पाकिस्तान ने ईरान की राजधानी तेहरान से अपने कुछ राजनयिकों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है. यह कदम ऐसे समय में आया है जब तेहरान में सुरक्षा हालात बिगड़ते दिख रहे हैं.

    Pakistan recalled its diplomats from Tehran
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    हाल के दिनों में पश्चिम एशिया में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है. इस बीच पाकिस्तान ने ईरान की राजधानी तेहरान से अपने कुछ राजनयिकों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है. यह कदम ऐसे समय में आया है जब तेहरान में सुरक्षा हालात बिगड़ते दिख रहे हैं.

    राजनयिक वापसी का कारण: सुरक्षा प्राथमिकता

    पाकिस्तानी मीडिया 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार ने ईरान में मौजूद अपने कुछ अधिकारियों को तत्काल देश लौटने का निर्देश दिया है. यह फैसला मौजूदा सुरक्षा स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.

    सरकार के सूत्रों का कहना है कि यह एक अस्थायी और एहतियाती कदम है, जिसका उद्देश्य अपने कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान और ईरान के द्विपक्षीय संबंधों में किसी प्रकार की कटौती नहीं की जा रही है.

    पहले समर्थन, अब सतर्कता

    गौरतलब है कि ईरान पर इजराइली हमले के बाद पाकिस्तान ने खुले तौर पर तेहरान का समर्थन किया था. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस्लामाबाद स्थित ईरानी दूतावास का दौरा कर एकजुटता का संदेश दिया था. इसके अलावा, पाकिस्तान उन 21 मुस्लिम देशों में शामिल था जिन्होंने इजराइल के खिलाफ संयुक्त बयान जारी कर कार्रवाई की निंदा की थी.

    लेकिन अब रुख में बदलाव क्यों?

    विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की इस रणनीतिक वापसी के पीछे दो प्रमुख कारण हो सकते हैं:

    अमेरिका की सक्रिय भूमिका: अब तक इस संघर्ष में अमेरिका परोक्ष भूमिका निभा रहा था, जिससे पाकिस्तान के लिए एक संतुलित रुख अपनाना संभव था. लेकिन जैसे-जैसे अमेरिका ने सीधे तौर पर ईरान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना शुरू किया है, पाकिस्तान की स्थिति जटिल हो गई है. अमेरिका से आर्थिक और सामरिक सहायता प्राप्त करने वाला पाकिस्तान खुले तौर पर ईरान के साथ खड़ा होने से बचना चाहता है.

    तेहरान की अस्थिर स्थिति: तेहरान में सुरक्षा हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं. इजराइल की ओर से सैन्य कार्रवाई और संभावित खतरे के मद्देनजर अमेरिका समेत कई देशों ने अपने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है. इस परिप्रेक्ष्य में पाकिस्तान का यह कदम एक पूर्व-सावधानी के तौर पर देखा जा रहा है.

    पिछले उदाहरण और वर्तमान फैसला

    दिलचस्प बात यह है कि जब मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था, तब ईरान ने मध्यस्थता की भूमिका निभाई थी और खुद अपने राजनयिक मिशन को चालू रखा था. उस समय ईरान ने पाकिस्तान का साथ नहीं छोड़ा. ऐसे में पाकिस्तान की यह त्वरित राजनयिक वापसी कई सवाल खड़े करती है.

    ये भी पढ़ें- पहाड़ी से फिसलकर गहरी खाई में गिरे श्रद्धालु, केदारनाथ यात्रा में बड़ा हादसा; पुलिस की टीमें तुरंत मौके पर रवाना