भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि को लेकर फिर से तनाव गहराता दिखा, लेकिन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के प्रमुख बिलावल भुट्टो-जरदारी का रुख अब पहले की तुलना में कुछ नरम पड़ता दिखाई दे रहा है. भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले के बाद भुट्टो ने बेहद उग्र तेवर दिखाते हुए कहा था कि "या तो हमारा पानी बहेगा या उनका खून". लेकिन, अब वही भुट्टो शांति और बातचीत की वकालत कर रहे हैं.
भारत पर लगाया बातचीत से इनकार का आरोप
अपने हालिया बयान में बिलावल भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तान ने बातचीत की पहल की थी, लेकिन भारत ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. उन्होंने कहा कि भारत का सिंधु जल संधि को चुनौती देने का प्रयास विफल रहा क्योंकि उनका दावा कमजोर था. साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब वह विदेश मंत्री थे, तब भी भारत ने इस संधि को बदलने की कोशिश की थी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली.
मध्यस्थता की अपील और वैश्विक चिंता
बिलावल ने दावा किया कि दुनिया के कई प्रमुख देश भारत-पाकिस्तान के बीच इस विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की भूमिका निभाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस क्षेत्र में स्थिरता और शांति चाहता है.
भारत की चुप्पी, उमर अब्दुल्ला का समर्थन
इस पूरे घटनाक्रम पर भारत सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. हालांकि, उमर अब्दुल्ला ने भारत सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि सिंधु जल संधि कश्मीर के हितों के खिलाफ थी और इसे रोकना एक सही कदम है. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 भारतीय पर्यटकों की जान चली गई थी, जिससे देशभर में गुस्सा है. इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकियों का हाथ बताया जा रहा है और जनता सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग कर रही है.
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