India-Pak Conflict: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. भारत के एक्शन से पाकिस्तानी हुक्मरान की रातों की नींद उड़ी हुई है. इस बढ़ते तनाव का असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर भी साफ नजर आने लगा है. बता दें कि पाकिस्तान ने चीन से अपनी मौजूदा करेंसी स्वैप लाइन को 10 अरब युआन तक बढ़ाने की गुहार लगाई है.
वित्त मंत्री ने इंटरव्यू में किया खुलासा
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने वॉशिंगटन में एक इंटरव्यू के दौरान इस बात का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान पहले से ही चीन के साथ 30 अरब युआन की स्वैप लाइन का समझौता कर चुका है और अब इसे 40 अरब युआन तक बढ़ाने की मांग की गई है. औरंगजेब ने यह भी जानकारी दी कि पाकिस्तान वर्ष 2025 के अंत से पहले पांडा बॉन्ड जारी करने की योजना बना रहा है.
क्या होता है स्वैप लाइन?
स्वैप लाइन दरअसल दो देशों के केंद्रीय बैंकों के बीच ऐसा समझौता होता है, जिसके तहत दोनों देश अपनी-अपनी मुद्राओं का आदान-प्रदान कर एक-दूसरे को विदेशी मुद्रा की तरलता (liquidity) प्रदान करते हैं. संकट के समय यह व्यवस्था बैंकों को भरोसा देती है कि किसी खास मुद्रा की आपूर्ति बाधित नहीं होगी. चीन भी हाल के वर्षों में अर्जेंटीना और श्रीलंका जैसे देशों के साथ स्वैप लाइन का विस्तार कर चुका है.
क्या है पांडा बॉन्ड?
पांडा बॉन्ड की बात करें तो ये बॉन्ड चीनी मुद्रा रेनमिनबी (RMB) में जारी किए जाते हैं और विदेशी संस्थाओं को चीन के घरेलू बाजार से फंड जुटाने का अवसर प्रदान करते हैं. पाकिस्तान का लक्ष्य है कि वह अपने ऋण स्रोतों में विविधता लाए और नए निवेश अवसरों को खोले.
पहलगाम हमले पर क्या बोले?
पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब से भारत के साथ बढ़ते तनाव और पहलगाम आतंकी हमले के आर्थिक प्रभाव के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान पर कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाया है. इस घटना के बाद पाकिस्तान ने भारतीय एयरलाइनों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया है और द्विपक्षीय व्यापार को भी निलंबित कर दिया है. वहीं भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने और अटारी बॉर्डर को बंद करने जैसे कड़े कदम उठाए हैं.
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार पहले ही पिछले कुछ वर्षों में कम होकर केवल 1.2 अरब डॉलर पर आ चुका था. अब इस नए तनाव के चलते दोनों देशों के बीच आर्थिक दूरियां और भी बढ़ती नजर आ रही हैं.