मध्य पूर्व में चल रही छाया जंग एक बार फिर सुर्खियों में है. ईरान ने ऐसा दावा किया है जिसने न सिर्फ क्षेत्रीय तनाव को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय हलकों में भी चिंता की लहर दौड़ा दी है. तेहरान का कहना है कि उसकी खुफिया एजेंसियों ने इज़रायल के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े "अत्यंत गोपनीय" दस्तावेज़ हासिल कर लिए हैं — और वह इन्हें जल्द ही सार्वजनिक करने वाला है.
इज़रायल के परमाणु इरादों पर पड़ेगा पानी?
ईरान की आधिकारिक मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये दस्तावेज़ इज़रायल की न्यूक्लियर क्षमताओं, अनुसंधान केंद्रों और भविष्य की योजनाओं से संबंधित हैं. दावा है कि यह जानकारी दुनिया के सामने आते ही इज़रायल की "परमाणु गुप्तनीति" पर करारा प्रहार करेगी. फिलहाल, इज़रायल की ओर से इन रिपोर्ट्स पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
दस्तावेज़ों की हैकिंग या लंबे समय से चल रहा मिशन?
ऐसा माना जा रहा है कि ये दस्तावेज़ उसी कथित साइबर हमले का हिस्सा हो सकते हैं जो पिछले साल इज़रायली न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर पर किया गया था. हालांकि, ईरानी मीडिया यह भी कह रही है कि यह ऑपरेशन पहले ही पूरा हो चुका था, लेकिन दस्तावेजों की मात्रा और सुरक्षा कारणों के चलते इसकी जानकारी अब तक सार्वजनिक नहीं की गई थी.
हिज़्बुल्लाह से जुड़े मीडिया आउटलेट्स का दावा
लेबनान स्थित ‘अल मायादीन’ और ईरान की ‘तस्नीम न्यूज़ एजेंसी’ ने इस ऑपरेशन की जानकारी साझा करते हुए दावा किया कि हजारों गोपनीय दस्तावेज़ अब ईरान के सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिए गए हैं. हालांकि इन दावों के समर्थन में अभी तक कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया है.
जासूसी से जुड़ी गिरफ़्तारियां
तस्नीम ने इस पूरे घटनाक्रम को हाल ही में इज़रायल के शहर नेशेर में गिरफ्तार किए गए दो नागरिकों — रॉय मिजराही और अल्मोग अतियास — से भी जोड़ा है. इन दोनों पर ईरान के लिए जासूसी करने का संदेह है. हालांकि रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी गिरफ्तारी तब हुई जब संवेदनशील दस्तावेज़ पहले ही देश से बाहर भेजे जा चुके थे.
साइबर युद्ध का अगला अध्याय?
तेल अवीव विश्वविद्यालय के INSS (राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन संस्थान) में ईरान मामलों के प्रमुख डॉ. रज़ ज़िम्ट ने इस पूरे मामले को 2024 की शुरुआत में सामने आए एक साइबर उल्लंघन से जोड़कर देखा है. उस समय यह सामने आया था कि ईरानी हैकरों ने इज़रायल के परमाणु ऊर्जा आयोग के सर्वर तक पहुंच बनाई थी और 2014 से 2023 तक का डेटा एक्सेस किया था. उस समय इसे "गंभीर उल्लंघन" नहीं माना गया था, लेकिन अब ताजा दावों ने इस मुद्दे को फिर से गर्मा दिया है.
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