चीन की DeepSeek आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ऐप ने काफी चर्चा बटोरी है और ऐप स्टोर में तेजी से टॉप पर पहुंच गया है. इस ऐप को डेटा सुरक्षा का ध्यान रखते हुए डिजाइन किया गया है. हालांकि, सबसे बड़ा सवाल यह है कि DeepSeek को पूरी तरह से चीन से ही मैनेज किया जा रहा है, जो डेटा प्राइवेसी को लेकर चिंता पैदा करता है, खासकर भारत जैसे देशों में, जहां यूजर्स यह जानने के लिए सतर्क रहते हैं कि उनका डेटा कहां स्टोर हो रहा है.
प्राइवेसी जोखिम और बढ़ सकते हैं
इससे भी आगे बढ़ते हुए, चीन की एक बड़ी टेक कंपनी अलीबाबा ने अपनी AI मॉडल 'क्वेन' का परिचय दिया है. कंपनी का दावा है कि क्वेन, DeepSeek से भी अधिक शक्तिशाली होगा. इस घोषणा ने चिंता को और बढ़ा दिया है, क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह ऐप ओपन-सोर्स है और किसी भी डिवाइस पर काम कर सकता है, जिससे प्राइवेसी जोखिम और बढ़ सकते हैं.
भारत में अधिकारियों ने इन चीनी AI मॉडल्स की बढ़ती उपस्थिति पर नजर रखी हुई है. हालांकि ये ऐप्स ओपन-सोर्स हैं और विभिन्न डिवाइसों पर काम कर सकते हैं. मुख्य चिंता इनकी प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर है, खासकर क्योंकि इन ऐप्स के सर्वर चीन में स्थित हैं. यह बहस चल रही है कि क्या इसका मतलब है कि भारतीय यूजर्स का डेटा चीन में ट्रांसफर या स्टोर हो सकता है, जिससे सुरक्षा समस्याएं हो सकती हैं.
भारत सरकार की कड़ी नजर
भारत सरकार के अधिकारी इस स्थिति पर करीबी निगरानी रख रहे हैं. एक अधिकारी ने जनता को आश्वस्त करते हुए कहा, “फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है. अगर डेटा ट्रांसफर से संबंधित कोई समस्या पाई जाती है, तो हम तुरंत कार्रवाई करेंगे.” यह पहली बार नहीं है जब भारतीय सरकार ने चीनी ऐप्स को लेकर चिंताएं जताई हैं. इससे पहले भी कई चीनी ऐप्स को यूजर्स डेटा प्राइवेसी के उल्लंघन के कारण प्रतिबंधित या बैन किया जा चुका है.
भारतीय अधिकारी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वे IT नियमों को सख्ती से लागू करेंगे. अगर कोई चीनी ऐप डेटा प्राइवेसी नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ त्वरित कार्रवाई की जाएगी. इस मामले पर चल रही चर्चा और निगरानी से यह प्रतीत होता है कि सरकार भारतीय यूजर्स के डेटा की सुरक्षा के लिए गंभीर है और आवश्यक कदम उठाने के लिए तैयार है.
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