इजरायल ने ईरान के तीन सबसे अहम और सुरक्षित माने जाने वाले परमाणु ठिकानों—नतांज, इस्फहान और फोर्डो—पर जबरदस्त हवाई हमले किए. इन हमलों में कुछ ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों के मारे जाने की खबर है. ये ठिकाने ज़मीन के काफी भीतर बंकरों में स्थित हैं और अब तक लगभग अजेय माने जाते रहे हैं.
हालांकि, इन ठिकानों को हुआ नुकसान कितना गंभीर है, इसको लेकर अलग-अलग दावे सामने आ रहे हैं. इजरायल कह रहा है कि उसने ईरान की परमाणु क्षमता को बड़ा झटका दिया है, जबकि ईरान इसे खारिज कर रहा है. यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बयानों में भी स्पष्टता की कमी दिख रही है.
लेकिन, इन सबके बीच जो बात सबसे ज्यादा अहम है, वह ये कि ईरान की परमाणु शक्ति आखिर टिकती किस पर है? जवाब है—यूरेनियम संवर्धन. तो चलिए, इसे गहराई से समझते हैं.
यूरेनियम संवर्धन: क्या होता है, और क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण?
यूरेनियम प्रकृति में पाए जाने वाला एक भारी तत्व है, लेकिन यह कई रूपों (आइसोटोप्स) में आता है. यूरेनियम के दो प्रमुख आइसोटोप होते हैं—यूरेनियम-238 और यूरेनियम-235. यूरेनियम-238 की मात्रा सबसे अधिक होती है (करीब 99.27 प्रतिशत), लेकिन यह नाभिकीय ऊर्जा के लिए उपयोगी नहीं होता. जबकि यूरेनियम-235, जो केवल 0.72 प्रतिशत मात्रा में पाया जाता है, वही ऊर्जा उत्पादन और हथियार निर्माण के लिए आवश्यक होता है.
यूरेनियम संवर्धन का अर्थ है—प्राकृतिक यूरेनियम से यूरेनियम-235 की मात्रा बढ़ाना. यानी यूरेनियम-238 को अलग करना और यूरेनियम-235 की सांद्रता बढ़ाना.
सेंट्रीफ्यूज कैसे करते हैं संवर्धन?
संवर्धन की प्रक्रिया में गैसीय यूरेनियम को बहुत तेज़ी से घूमने वाले सिलेंडरों (सेंट्रीफ्यूज) में डाला जाता है. यह प्रक्रिया बिल्कुल सलाद ड्रायर जैसी होती है—जहां भारी अणु किनारे की ओर चले जाते हैं और हल्के बीच में रह जाते हैं.
यूरेनियम-238 भारी होता है, इसलिए यह बाहर चला जाता है और यूरेनियम-235 धीरे-धीरे अंदर रह जाता है. इस प्रक्रिया को कई बार दोहराया जाता है ताकि यूरेनियम-235 की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ती जाए.
कितना संवर्धन कितना खतरनाक?
सामान्य परमाणु रिएक्टरों में आमतौर पर तीन से पांच प्रतिशत तक संवर्धित यूरेनियम का प्रयोग होता है. यह बिजली बनाने के लिए पर्याप्त होता है, लेकिन इससे बम नहीं बन सकता.
परमाणु हथियार बनाने के लिए यूरेनियम-235 की सांद्रता को 90 प्रतिशत या उससे अधिक तक बढ़ाना पड़ता है. इसे ‘हथियार-ग्रेड यूरेनियम’ कहा जाता है. हालांकि तकनीकी रूप से 20 प्रतिशत संवर्धन के बाद भी वह सामग्री 'अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम' मानी जाती है.
आईएईए के अनुसार, ईरान पहले ही यूरेनियम को 60 प्रतिशत तक संवर्धित कर चुका है. विशेषज्ञ मानते हैं कि 60 से 90 प्रतिशत तक जाना तकनीकी रूप से कहीं ज्यादा आसान होता है, क्योंकि नमूने में यूरेनियम-238 की मात्रा अब काफी कम हो जाती है. यही कारण है कि ईरान की परमाणु क्षमता को लेकर वैश्विक चिंता लगातार गहराती जा रही है.
ईरान के परमाणु ठिकाने: क्यों हैं ये रणनीतिक रूप से अहम?
ईरान के जिन तीन ठिकानों को इजरायल ने निशाना बनाया है, वे उसकी परमाणु परियोजना के अलग-अलग पहलुओं से जुड़े हैं. नतांज और फोर्डो में यूरेनियम संवर्धन होता है, यानी वहीं पर ईरान की परमाणु रफ्तार तय होती है. वहीं इस्फहान वह जगह है जहां पर कच्चा यूरेनियम तैयार किया जाता है और अन्य प्रक्रियाएं संचालित होती हैं.
इनमें से किसी भी साइट को गंभीर नुकसान पहुंचाना ईरान की परमाणु तैयारी को धीमा कर सकता है, हालांकि पूरी तरह रोकना मुश्किल है जब तक कि सेंट्रीफ्यूज सिस्टम ही नष्ट न हो जाएं.
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