नई दिल्लीः भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक रिश्तों में एक नया मोड़ आ गया है. केंद्र सरकार ने अब नॉर्थ ईस्ट राज्यों के हितों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए बांग्लादेश के कुछ उत्पादों पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है. इस कदम को केवल एक व्यापारिक रणनीति नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक संदेश भी माना जा रहा है.
हाल ही में भारत ने बांग्लादेश के कुछ चुनिंदा निर्यात उत्पादों पर लैंड पोर्ट्स के माध्यम से प्रवेश पर रोक लगाई है. इसके जरिए यह साफ संकेत दिया गया है कि नॉर्थ ईस्ट भारत का हिस्सा है, कोई निर्बाध बाजार नहीं – और यह अब खुद के विकास के लिए खड़ा हो रहा है.
अब बिना शर्त व्यापार नहीं
अब तक भारत बांग्लादेश के साथ उदार व्यापार नीति अपनाता रहा है. बिना किसी खास प्रतिबंध के बांग्लादेशी उत्पाद भारत में प्रवेश करते रहे हैं. लेकिन जब बात आई भारत के उत्पादों—खासकर नॉर्थ ईस्ट में बने सामानों की, तो बांग्लादेश ने न तो उचित मार्केट एक्सेस दिया और न ही ट्रांजिट की सुविधा.
इस असंतुलन के जवाब में भारत ने भी रेडीमेड गारमेंट (RMG) जैसे प्रमुख बांग्लादेशी उत्पादों के आयात को सिर्फ दो बंदरगाहों — कोलकाता और न्हावा शेवा (मुंबई) तक सीमित कर दिया है. यानी अब ये सामान नॉर्थ ईस्ट राज्यों के ज़रिए भारत में दाखिल नहीं हो सकेंगे.
समान अधिकार, समान दायित्व
विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, भारत का यह कदम व्यापार में समानता और पारस्परिकता लाने की दिशा में है. उन्होंने कहा, “बांग्लादेश बराबरी की बात करता है, लेकिन व्यवहार में नॉर्थ ईस्ट को सिर्फ अपने उत्पादों के लिए बाजार समझता है. अब ऐसा नहीं चलेगा.”
धागा-चावल पर रोक का जवाब
भारत की इस कार्रवाई के पीछे बांग्लादेश की हालिया नीतियां भी जिम्मेदार हैं, जिनमें उसने भारतीय धागे, चावल और अन्य उत्पादों पर या तो प्रतिबंध लगाए या फिर कड़ी निगरानी शुरू की. भारत का रुख साफ है — अगर व्यापार करना है, तो वह दोनों पक्षों के हितों पर आधारित होना चाहिए, न कि एकतरफा फायदे के हिसाब से.
नॉर्थ ईस्ट को मिलेगा अपना हक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि नॉर्थ ईस्ट के विकास में वहां के स्थानीय उत्पादों और उद्योगों की अहम भूमिका होगी. क्षेत्रीय व्यापार का केंद्र बनने की दिशा में यह नीति एक मजबूत कदम है.
कूटनीतिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर टिप्पणी करते हुए लिखा, “भारत का बांग्लादेश को लेकर सख्त रुख इस बात का संकेत है कि नॉर्थ ईस्ट अब किसी भी देश का पिछलग्गू नहीं बनेगा. यह आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने वाला साहसी कदम है.”
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