झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राहत के लिए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. हेमंत सोरेन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका का उल्लेख किया.
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ को अवगत कराया कि झारखंड उच्च न्यायालय ने फरवरी के अंतिम सप्ताह में सोरेन की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है लेकिन अभी तक फैसला नहीं सुनाया गया है. सिब्बल ने चल रहे लोकसभा चुनाव के आधार पर तत्काल सुनवाई की मांग की और पीठ को यह भी बताया कि चुनाव खत्म हो जाएगा और वह जेल के अंदर ही रहेंगे.
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न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश सचिवालय इस पर विचार करेगा और वकील से एक बार इसकी जानकारी देने को कहेगा.
फरवरी में झारखंड उच्च न्यायालय ने सोरेन की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सोरेन ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में दावा किया है कि उनकी गिरफ्तारी अनुचित थी और मामले में उनकी रिमांड मनमानी और अवैध थी.
वकील प्रज्ञा बघेल के माध्यम से याचिका दायर करने वाले हेमंत सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध और दुर्भावनापूर्ण बताया है. इस बीच उन्होंने अंतरिम जमानत की मांग भी की है.
पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के अध्यक्ष हेमंत सोरेन को जनवरी में भूमि घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था. यह जांच करोड़ों रुपये मूल्य की भूमि के विशाल पार्सल हासिल करने के लिए जाली या फर्जी दस्तावेजों की आड़ में 'फर्जी विक्रेताओं' और खरीदारों को दिखाकर आधिकारिक रिकॉर्ड में जालसाजी करके उत्पन्न अपराध की भारी मात्रा में आय से संबंधित है.
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