Court extends CM Kejriwal and K Kavita custody
नई दिल्ली : राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को उत्पाद शुल्क नीति (Delhi excise policy case) मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, बीआरएस नेता के कविता और एक अन्य की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी है.
कोर्ट ने ईडी मामले में केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 मई, 2024 तक बढ़ा दी है, जबकि के कविता की न्यायिक हिरासत ईडी मामले में 14 मई और सीबीआई मामले में 20 मई तक बढ़ा दी गई है.
केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 21 मार्च, 2024 को गिरफ्तार किया था. सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से पेश हुए वकील रजत भारद्वाज ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट वर्तमान में अंतरिम जमानत के पहलू पर अरविंद केजरीवाल के मामले की सुनवाई कर रहा है.
विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने ईडी द्वारा दायर आवेदनों को अनुमति दे दी, जिसमें उत्पाद शुल्क नीति मामले में अरविंद केजरीवाल, के कविता और चनप्रीत सिंह की न्यायिक हिरासत बढ़ाने की मांग की गई थी.
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केजरीवाल की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई कोर्ट में पेशी
सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अरविंद केजरीवाल की पेशी हुई. हालांकि, के कविता सोमवार को पारित अदालती आदेश के बाद अदालत में फिजिकली पेश हुईं.
राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को उत्पाद शुल्क नीति मामले से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी मामलों के संबंध में भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के कविता द्वारा दायर जमानत याचिकाओं को भी खारिज कर दिया.
के कविता को पहले ईडी और फिर सीबीआई ने किया था गिरफ्तार
बीआरएस नेता के कविता को 15 मार्च, 2024 को ईडी ने और 11 अप्रैल, 2024 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार किया था.
इससे पहले, सीबीआई ने रिमांड के जरिए कहा था कि "तत्काल मामले में कलवाकुन्तल कविता को हिरासत में लेकर पूछताछ करने के लिए उसे गिरफ्तार करने की आवश्यकता है ताकि उसे सबूतों और गवाहों के साथ सामना कराया जा सके ताकि आरोपियों, संदिग्ध व्यक्तियों के बीच रची गई बड़ी साजिश का पता लगाया जा सके और उत्पाद शुल्क नीति के साथ-साथ गलत तरीके से अर्जित धन का पता लगाने और लोक सेवकों सहित अन्य आरोपी/संदिग्ध व्यक्तियों की भूमिका स्थापित करने के साथ-साथ उन तथ्यों का पता लगाया जा सके, जो उसकी विशेष जानकारी में हैं.
नई दिल्ली शराब नीति में नियमों का हुआ था उल्लंघन
अधिकारियों ने कहा कि जुलाई में दायर दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी, जिसमें प्रथमदृष्टया जीएनसीटीडी अधिनियम 1991, लेन-देन व्यवसाय नियम (टीओबीआर) -1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम -2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम -2010 का उल्लंघन दिखाया गया था.
ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया था कि उत्पाद शुल्क नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया, लाइसेंस शुल्क माफ कर दिया गया या कम कर दिया गया और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ाया गया.
जांच एजेंसियों ने कहा कि लाभार्थियों ने आरोपी अधिकारियों को "अवैध" लाभ पहुंचाया और जांच से बचने के लिए उनके अकाउंट में गलत एंट्रीज की गईं.
आरोपों के मुताबिक, उत्पाद शुल्क विभाग ने तय नियमों के विपरीत एक सफल निविदाकर्ता को करीब 30 करोड़ रुपये की धरोहर राशि लौटाने का फैसला किया था.
जांच एजेंसी ने कहा कि भले ही कोई सक्षम प्रावधान नहीं था, फिर भी कोविड-19 के कारण 28 दिसंबर, 2021 से 27 जनवरी, 2022 तक निविदा लाइसेंस शुल्क पर छूट की अनुमति दी गई और राजकोष को 144.36 करोड़ रुपये का कथित नुकसान हुआ.
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