यूनुस का जिगरी मौलाना बांग्लादेश में घोल रहा जहर, भारत का नाम लेकर कही बरगलाने वाली बात, देखें VIDEO

    बांग्लादेश में तख्तापलट की आहट तेज हो गई है. एक ओर अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस हैं, जो सत्ता से हटने को तैयार नहीं, और दूसरी ओर हैं सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान, जो दिसंबर 2025 से पहले चुनाव कराने को लेकर सख्त रुख अपना चुके हैं.

    Bangladesh Coup military intervention interim government Muhammad Yunus
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    Bangladesh Coup: बांग्लादेश में तख्तापलट की आहट तेज हो गई है. एक ओर अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस हैं, जो सत्ता से हटने को तैयार नहीं, और दूसरी ओर हैं सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान, जो दिसंबर 2025 से पहले चुनाव कराने को लेकर सख्त रुख अपना चुके हैं. सूत्रों की मानें तो जनरल वाकर ने मोहम्मद यूनुस को दो टूक शब्दों में चेतावनी दी है — "अब बांग्लादेश की सेना सिर्फ लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार के प्रति जवाबदेह होगी."

    जनरल की चेतावनी, यूनुस की ज़िद

    ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ एक राजनीतिक असहमति है. अब यह पूरी तरह संवैधानिक व्यवस्था बनाम व्यक्तिगत सत्ता की लड़ाई बन चुकी है. यूनुस न तो पीछे हट रहे हैं और न ही समय पर चुनाव कराने को तैयार हैं. लेकिन सेना और ज़्यादातर राजनीतिक दल अब लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली की मांग कर रहे हैं.

    राजनीतिक समर्थन हो रहा है कमजोर

    एक वक्त था जब मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश में बदलाव का चेहरा माना जाता था. लेकिन सत्ता संभालने के बाद से उनके इर्द-गिर्द कट्टरपंथी ताकतें ही मज़बूत हुई हैं. अब हालात ये हैं कि न तो उन्हें BNP (बांग्लादेश नेशनल पार्टी) का समर्थन मिल रहा है, न ही शेख हसीना की पार्टी के उदार धड़े का मिल रहा है. यहां तक कि जमात-ए-इस्लामी, जो पहले उनके करीब मानी जाती थी, अब उनसे दूरी बना रही है.

    कट्टरपंथियों की भाषा और भारत पर वार

    यूनुस समर्थक मौलानाओं का भारत-विरोधी बयानबाज़ी करना कोई नई बात नहीं, लेकिन मौजूदा हालात में यह और भी खतरनाक संकेत देता है. जब देश में राजनीतिक अस्थिरता होती है, तो अक्सर बाहरी दुश्मनों का हवाला देकर जनता को भटकाने की कोशिश होती है और यहां भी वही हो रहा है. एक मौलाना ने तो यहां तक कह दिया कि “दिल्ली की राजनीति बांग्लादेश में नहीं चलेगी.” जबकि भारत सरकार ने इस घटनाक्रम पर कोई प्रतिक्रिया तक नहीं दी है. मौलाना का ज़हर घुला बयान सुनिए... 

    क्या सेना कर सकती है तख्तापलट?

    फिलहाल बांग्लादेश की फौज खुलकर सामने तो नहीं आई है, लेकिन संकेत साफ हैं या तो यूनुस खुद पीछे हटें, या फिर सेना सीधी कार्रवाई कर सकती है. इससे पहले भी बांग्लादेश में सेना की भूमिका सत्ता परिवर्तन में अहम रही है. इस बार भी अगर लोकतांत्रिक प्रक्रिया की राह नहीं बनी, तो जनरल वाकर ‘सिस्टम रिस्टार्ट’ का रास्ता चुन सकते हैं.

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