पाकिस्तान इन दिनों अंदरूनी उथल-पुथल से जूझ रहा है. एक ओर आर्थिक संकट और अंतरराष्ट्रीय कर्ज ने देश की नींव हिला रखी है, तो दूसरी ओर बलूचिस्तान और सिंध जैसे प्रांतों में अलगाववादी आंदोलनों ने केंद्र सरकार की नींद उड़ा दी है. ताजा घटनाक्रम में बलूच नेता मीर यार बलोच ने पाकिस्तान को खुली चुनौती देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बलूचिस्तान को आज़ाद देश के रूप में मान्यता दिलाने की अपील की है.
"बलूच अब पाकिस्तानी नहीं" – मीर यार बलोच की भावुक अपील
बलूच नेता मीर यार बलोच ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक वीडियो संदेश के ज़रिए साफ़ कर दिया कि बलूच अब खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते. उन्होंने लिखा, "बलूचों को पाकिस्तानी कहना बंद करें. हमने एक राष्ट्रीय फैसला ले लिया है – अब हम अपनी नस्ल, अपनी संस्कृति और अपने भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं." उन्होंने भारतीय मीडिया, यूट्यूबर्स, और बौद्धिक समुदाय से अनुरोध किया कि वे बलूचों की पहचान को पाकिस्तान से जोड़कर न देखें और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी आवाज़ को बुलंद करें.
"पाकिस्तान ने सहायता से आतंक फैलाया" – मीर यार का आरोप
मीर यार बलोच ने पाकिस्तान पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि देश को जो अरबों डॉलर की सहायता और कर्ज मिले, उनका उपयोग जनकल्याण के बजाय आतंकवाद को बढ़ावा देने में किया गया. उन्होंने दावा किया कि 1947 से लेकर अब तक पाकिस्तान ने अमेरिका, IMF और विश्व बैंक से जो सहायता प्राप्त की, उसका बड़ा हिस्सा कट्टरपंथी संगठनों को खड़ा करने और क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने में झोंक दिया गया. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिकी और नाटो सैनिकों की हत्याओं के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी नेटवर्क थे, जिन्हें अमेरिका से ही मिली सहायता से पाला गया.
बलूचिस्तान की आजादी की घोषणा?
मीर यार बलोच ने दावा किया कि बलूचिस्तान के लोगों ने पाकिस्तान से अलग होने का निर्णय ले लिया है और अब यह पाकिस्तान का हिस्सा नहीं रहा. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगठनों, खासतौर पर संयुक्त राष्ट्र से आग्रह किया कि पाकिस्तान के "आतंकी व्यवहार" पर संज्ञान लिया जाए और बलूचिस्तान पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई जाए.
भारत को मिला बलूच नेता का समर्थन
बलूच नेता ने भारत द्वारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को खाली कराने की मांग का भी समर्थन किया. उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान, भारत के इस रुख के साथ खड़ा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे पाकिस्तान पर PoK खाली करने के लिए दबाव बनाएं.
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, "अगर पाकिस्तान ने बात नहीं मानी तो इतिहास खुद को दोहरा सकता है. 1971 की तरह एक और शर्मनाक हार उसका इंतज़ार कर रही है—लेकिन इस बार इसकी ज़िम्मेदारी पाकिस्तान की सेना और उसके जनरल्स पर होगी, जो नागरिकों को मानव ढाल बना रहे हैं."
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