भारत के पड़ोस में नया देश बनाने की तैयारी में अमेरिका! बांग्लादेश कर सकता है म्यांमार पर हमला

    दक्षिण एशिया में एक नया भू-राजनीतिक मोड़ सामने आता दिख रहा है. हाल की रिपोर्टों के अनुसार, बांग्लादेश और म्यांमार के बीच सीमा विवाद और क्षेत्रीय अस्थिरता के चलते एक संभावित सैन्य गतिरोध की स्थिति बन रही है. यह घटनाक्रम न केवल इन दोनों देशों के लिए, बल्कि भारत और पूरे क्षेत्र के लिए गंभीर रणनीतिक मायने रखता है.

    America is preparing to create a new country in Indias neighbourhood Bangladesh is preparing to attack Myanmar
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    नई दिल्ली/ढाका: दक्षिण एशिया में एक नया भू-राजनीतिक मोड़ सामने आता दिख रहा है. हाल की रिपोर्टों के अनुसार, बांग्लादेश और म्यांमार के बीच सीमा विवाद और क्षेत्रीय अस्थिरता के चलते एक संभावित सैन्य गतिरोध की स्थिति बन रही है. यह घटनाक्रम न केवल इन दोनों देशों के लिए, बल्कि भारत और पूरे क्षेत्र के लिए गंभीर रणनीतिक मायने रखता है.

    शेख हसीना के दावे और सत्ता परिवर्तन

    मई 2024 में तत्कालीन बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सार्वजनिक रूप से दावा किया था कि कुछ बाहरी ताकतें बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा पर “पूर्वी तिमोर” जैसे एक नए देश की स्थापना करना चाहती हैं. उन्होंने यह भी बताया था कि बांग्लादेशी भूमि पर विदेशी एयरबेस की स्थापना का प्रस्ताव दिया गया था. हसीना ने इन मांगों को सिरे से खारिज करते हुए इसे देश की संप्रभुता पर खतरा बताया था.

    कुछ ही महीनों में बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति ने नाटकीय मोड़ लिया. हसीना की सरकार को हटाकर मोहम्मद यूनुस को सत्ता में लाया गया—एक ऐसा चेहरा जिसे अमेरिका समर्थक माना जाता है.

    बदलती सैन्य तैयारी और संभावित कार्रवाई

    सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश की सेना की तीन डिवीजन—10वीं, 17वीं और 24वीं—को म्यांमार सीमा पर सक्रिय किया गया है. कॉक्स बाजार और टेकनाफ के पास ड्रोन बेस और आर्टिलरी यूनिट्स की स्थापना की जा रही है. रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सिलखाली में एंटी-टैंक मिसाइलों और भारी तोपखाने की तैनाती की योजना भी सामने आई है.

    बंगाल की खाड़ी में लॉजिस्टिक डिपो के निर्माण से संकेत मिलता है कि यह तैयारी केवल रक्षात्मक नहीं, बल्कि किसी संभावित सैन्य कार्रवाई की दिशा में भी बढ़ रही है.

    अमेरिकी भूमिका और अंतरराष्ट्रीय समीकरण

    रिपोर्टों के मुताबिक, अमेरिकी राजनयिकों और खुफिया अधिकारियों की हालिया गतिविधियां इस क्षेत्र में एक बड़ी रणनीतिक योजना की ओर इशारा करती हैं. अराकान आर्मी और चिन नेशनल फ्रंट जैसे म्यांमार के विद्रोही समूहों के साथ संवाद, और ढाका में "सेफ हाउस" बैठकों की खबरें इस बात को पुष्ट करती हैं.

    बांग्लादेश के रक्षा खुफिया प्रमुख का वॉशिंगटन दौरा और वहां CIA अधिकारियों से संभावित मुलाकात, इस क्षेत्रीय समीकरण में अमेरिका की गहराई तक मौजूदगी को उजागर करता है.

    भारत के लिए निहितार्थ

    भारत के लिए यह घटनाक्रम अत्यंत संवेदनशील है. म्यांमार के रखाइन और चिन राज्य, जहां इस पूरे ‘संभावित बदलाव’ की बात हो रही है, सीधे भारत के मिज़ोरम और मणिपुर से सटे हुए हैं. ऐसे में किसी भी अस्थिरता का असर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों पर पड़ सकता है.

    इसके अतिरिक्त, भारत की रणनीतिक परियोजना—कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांजिट सिस्टम—म्यांमार के सित्तवे बंदरगाह से जुड़ी है, जो भारत के पूर्वोत्तर को समुद्र से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है.

    भारत की रणनीति: सतर्क रहना जरूरी

    हालांकि भारत ने अभी तक इस पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन यह स्पष्ट है कि उसे स्थिति पर कड़ी नजर बनाए रखनी होगी. भारत के लिए न केवल पूर्वोत्तर की सुरक्षा महत्वपूर्ण है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता भी उसकी आर्थिक और सामरिक योजनाओं के लिए अनिवार्य है.

    भारत को अपनी कूटनीति और खुफिया नेटवर्क को और सक्रिय कर यह सुनिश्चित करना होगा कि वह न केवल घटनाक्रम से अवगत रहे, बल्कि वक्त आने पर आवश्यक कदम भी उठाने में सक्षम हो.

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