जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव तेजी से बढ़ा है. इसी बीच पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर तीन बड़े देशों—चीन, तुर्की और अजरबैजान—का समर्थन प्राप्त हुआ है. इन देशों के पाकिस्तान के साथ खड़े होने से दक्षिण एशिया की रणनीतिक स्थिति और भी जटिल हो गई है.
चीन ने दी खुली चेतावनी, तुर्की और अजरबैजान भी आए साथ
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के अनुसार, उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से टेलीफोन पर बात की, जिसमें भारत की ‘एकतरफा कार्रवाइयों’ और ‘झूठे प्रचार’ को खारिज किया गया. इसके तुरंत बाद चीन ने पाकिस्तान की संप्रभुता और सुरक्षा हितों की रक्षा में समर्थन देने का ऐलान किया. साथ ही यह भी कहा कि भारत-पाक संघर्ष किसी भी पक्ष के हित में नहीं है और क्षेत्रीय शांति के लिए दोनों को संयम बरतना चाहिए.
रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन ने न केवल कूटनीतिक समर्थन दिया है बल्कि पाकिस्तान को PL-15 मिसाइलें भी आपात स्थिति में भेजी हैं. वहीं तुर्की ने पाकिस्तान को छह सशस्त्र एयरक्राफ्ट की डिलीवरी दी है, जिनमें से पांच इस्लामाबाद और एक कराची में उतरे हैं. तुर्की और पाकिस्तान लंबे समय से इस्लामिक सहयोग और रक्षा सौदों के माध्यम से एक-दूसरे का समर्थन करते रहे हैं.
अजरबैजान ने फिर दोहराया ‘दो देश, एक आत्मा’ का नारा
अजरबैजान ने भी पाकिस्तान के साथ खड़े होने की बात दोहराई है. दोनों देशों के बीच हाल के वर्षों में सैन्य सहयोग तेजी से बढ़ा है. पाकिस्तान और तुर्की ने 2020 के नागोर्नो-काराबाख युद्ध में अजरबैजान को हथियार और रणनीतिक सहायता दी थी. अब बदले में अजरबैजान खुलकर पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है.
भारत की सुरक्षा चिंताएं और रणनीतिक जवाब
चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) में चीन द्वारा किया गया भारी निवेश भी एक कारण है कि वह पाकिस्तान की सैन्य मजबूती में रुचि रखता है. चीन को आशंका है कि युद्ध की स्थिति में भारत ग्वादर जैसे रणनीतिक बंदरगाहों को निशाना बना सकता है. भारत ने भी प्रतिक्रिया में अपना एयरक्राफ्ट कैरियर अरब सागर में तैनात कर दिया है, जिससे तनाव और बढ़ गया है.
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