Trump and Asim Munir Meet: जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर हो, तब अमेरिका द्वारा पाकिस्तानी सेना प्रमुख को दिया गया विशेष महत्व भारतीय रणनीतिक हलकों में सवाल खड़े करता है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के बीच प्रस्तावित लंच मीटिंग ने इस पूरे घटनाक्रम को और पेचीदा बना दिया है.
टाइमिंग पर सवाल
ट्रंप और मुनीर की प्रस्तावित मुलाकात ऐसे समय हो रही है, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हालिया आतंकी हमले और भारत की जवाबी कार्रवाई के बाद भारत-पाक संबंध बेहद संवेदनशील मोड़ पर हैं. भारत ने इस हमले के लिए मुनीर की भड़काऊ बयानबाजी को ज़िम्मेदार ठहराया है, और इसके जवाब में “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की गई थी. इसके तुरंत बाद पाकिस्तान की ओर से हमले और फिर सीजफायर की अपील ने दोनों देशों को युद्ध के मुहाने से वापस खींचा. ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने इस सीजफायर में भूमिका निभाई, जिससे भारत में चिंता और बढ़ गई.
अमेरिका क्यों दिखा रहा है पाकिस्तान को तवज्जो?
इस सवाल का उत्तर एक नहीं, कई परतों में छिपा है:
आतंकवाद के खिलाफ सहयोग: अमेरिका की यूएस सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने हाल ही में पाकिस्तान द्वारा ISIS-K के खिलाफ कार्रवाई की सराहना की है, जो अमेरिका के लिए रणनीतिक सहयोग का संकेत हो सकता है.
चीन के प्रभाव की काट: अमेरिका को पाकिस्तान की चीन के साथ बढ़ती निकटता और CPEC जैसी परियोजनाओं से भी चिंता है. इस लिहाज से मुनीर की यात्रा को पाकिस्तान को चीन के प्रभाव से दूर खींचने की कोशिश माना जा रहा है.
आर्थिक डील और क्रिप्टो कनेक्शन: रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप से जुड़ी कंपनी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल और पाकिस्तान के बीच हाल ही में एक क्रिप्टोकरेंसी सौदे की चर्चा है, जिसमें मुनीर की भागीदारी बताई जा रही है. यह आर्थिक सहयोग अमेरिका के दृष्टिकोण को और स्पष्ट करता है.
भारत की चिंता: रणनीति या उपेक्षा?
भारत के लिए यह घटनाक्रम कई स्तरों पर असहज करने वाला है. कश्मीर मुद्दा फिर से वैश्विक एजेंडे पर न आ जाए, भारत को यह आशंका है, खासकर तब जब अमेरिका कभी-कभी मध्यस्थता की पेशकश कर चुका है, जिसे भारत ने बार-बार ठुकराया है. मुनीर की भूमिका, आतंकवाद को बढ़ावा देने और भारत-विरोधी बयानों को लेकर भारत में पहले ही विवादित रही है. तीसरे पक्ष की भूमिका भारत की विदेश नीति के खिलाफ है, और ऐसे समय में ट्रंप-मुनीर की मुलाकात इसे और उलझा सकती है.
अमेरिका की बदलती रणनीति
विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका अब पाकिस्तान के साथ केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि आर्थिक साझेदारी को भी प्राथमिकता देने की रणनीति पर काम कर रहा है. इस एजेंडे में क्रिप्टोकरेंसी, मिनरल डील्स, और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के जवाब में वैकल्पिक सहयोग शामिल हो सकता है. हालांकि, पाकिस्तान का ईरान के प्रति खुला समर्थन और चीन से उसकी गहराती दोस्ती अमेरिका की योजना को जटिल बना सकती है.
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