वाशिंगटनः 20 जनवरी, 2025 को डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में दूसरी बार शपथ दिलाई गई, जो एक ऐतिहासिक क्षण था. हालांकि, शपथ ग्रहण के बाद उनका भाषण ज्यादा चर्चा का विषय बन गया, खासकर ट्रांसजेंडर अधिकारों पर उनके द्वारा उठाए गए कदमों के कारण.
अपने भाषण में ट्रंप ने अमेरिकी जनता से वादा किया कि वह "विश्वास, संपत्ति, लोकतंत्र और स्वतंत्रता" को फिर से बहाल करेंगे, लेकिन, उनके भाषण का सबसे विवादास्पद हिस्सा उनके द्वारा ट्रांसजेंडर अधिकारों पर की गई घोषणा थी. ट्रंप ने यह घोषणा की कि अब अमेरिका में केवल दो लिंगों - पुरुष और महिला को ही आधिकारिक रूप से माना जाएगा. इसके तहत जन्म के समय निर्धारित लिंग को ही आधिकारिक पहचान माना जाएगा, और अब ट्रांसजेंडर पहचान को कानूनी तौर पर मान्यता नहीं दी जाएगी. इस कदम ने ट्रांसजेंडर समुदाय को हिलाकर रख दिया है और सवाल खड़े कर दिए हैं कि इसके परिणामस्वरूप उनके जीवन पर क्या असर होगा.
ट्रांसजेंडर कौन होते हैं?
ट्रांसजेंडर वे लोग होते हैं जिनका जन्म के समय निर्धारित लिंग उनके व्यक्तिगत लिंग पहचान से मेल नहीं खाता. वे अपने जीवन को अपनी असली पहचान के अनुसार जीने की चाह रखते हैं. अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, ट्रांसजेंडर लोग सामाजिक, मानसिक और स्वास्थ्य संबंधी कई चुनौतियों का सामना करते हैं.
वर्तमान में, अमेरिका में लगभग 16.4 लाख लोग ट्रांसजेंडर के रूप में पहचान रखते हैं. इनमें से 2% लोग ट्रांस पुरुष या महिला होते हैं, जबकि 3% लोग नॉन-बाइनरी होते हैं, यानी वे खुद को केवल पुरुष या महिला के रूप में परिभाषित नहीं करते. ट्रांसजेंडर समुदाय में, लगभग 33,000 लोग विभिन्न नौकरियों में काम कर रहे हैं.
ट्रंप के निर्णय का असर
ट्रंप के इस निर्णय का सबसे बड़ा असर यह होगा कि अब जन्म के समय अस्पताल द्वारा निर्धारित लिंग को ही आधिकारिक पहचान के रूप में माना जाएगा. इससे पहले, ट्रांसजेंडर लोग कानूनी और चिकित्सा प्रक्रियाओं के माध्यम से अपना लिंग बदल सकते थे, लेकिन अब यह अधिकार समाप्त कर दिया गया है. इसके अलावा, इस निर्णय से सरकारी नौकरियों और सेना में ट्रांसजेंडरों के लिए दरवाजे लगभग बंद हो जाएंगे, और खेलों जैसे सामाजिक क्षेत्र में उनकी भागीदारी पर भी प्रतिबंध लग सकता है.
यह निर्णय सरकारी दस्तावेजों जैसे पासपोर्ट और वीजा पर भी असर डालने वाला है. पहले से ही ट्रांसजेंडर लोग अपनी पहचान को लेकर सामाजिक और मानसिक संघर्ष करते हैं, और यह कदम उनके लिए और अधिक कठिनाइयां पैदा करेगा. ट्रांसजेंडर समुदाय और उनके समर्थक इस निर्णय के खिलाफ सड़कों पर उतर सकते हैं.
ट्रांसजेंडर अधिकारों में गिरावट
2015 में, अमेरिकी LGBTQ समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष था, जब ओबामा प्रशासन ने ट्रांसजेंडर अधिकारों को कई संघीय नीतियों में मजबूती से लागू किया था. इसी साल समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिली थी और ट्रांसजेंडर जोड़ों को गोद लेने का अधिकार मिला था. ट्रांसजेंडरों के सेना में भर्ती होने की अनुमति भी दी गई थी.
जब ट्रंप ने 2017 में सत्ता संभाली, तो इन अधिकारों को धीरे-धीरे सीमित किया गया. उन्होंने पहले ट्रांसजेंडरों के लिए सेना में भर्ती पर प्रतिबंध लगाया था और अब दूसरी बार राष्ट्रपति बनने पर उन्होंने ट्रांसजेंडर पहचान को खत्म करने का आदेश दिया है. बाइडन सरकार ने 2021 में इन प्रतिबंधों को पलट दिया था, लेकिन ट्रंप ने एक बार फिर से इसे लागू कर दिया है.
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