इस्लामाबाद: भारत में हाल ही में हुए आतंकी हमले के जवाब में लिए गए कड़े निर्णयों के बाद पाकिस्तान में शीर्ष स्तर पर हलचल तेज हो गई है. गुरुवार को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में पाकिस्तान की नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (NSC) की अहम बैठक शुरू हुई, जिसमें सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर समेत देश के वरिष्ठ सैन्य और असैन्य अधिकारी मौजूद हैं.
इस बैठक को भारत की कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की उस आपात बैठक के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई निर्णायक कदम उठाए.
भारत के पांच बड़े कदम
भारत सरकार ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने के लिए जो पांच फैसले लिए हैं, वे दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को एक नए मोड़ की ओर ले जा सकते हैं:
इन फैसलों से पाकिस्तान की रणनीतिक और राजनयिक स्थिति पर सीधा प्रभाव पड़ा है.
शिमला समझौते पर पुनर्विचार: पाकिस्तान की नई रणनीति?
पाक मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान अब 1972 के शिमला समझौते को रद्द करने पर विचार कर रहा है. यह वही समझौता है जिसे भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के जुल्फिकार अली भुट्टो ने भारत-पाक युद्ध के बाद किया था. यह समझौता दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता का आधार रहा है. अगर इसे रद्द किया जाता है, तो यह एक ऐतिहासिक मोड़ होगा.
सुरक्षा तंत्र हाई अलर्ट पर, मिसाइल परीक्षण की घोषणा
हालात की गंभीरता को देखते हुए पाकिस्तान ने 24-25 अप्रैल के बीच अपनी समुद्री सीमा में सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण करने की घोषणा की है. कराची तट के पास यह परीक्षण सुरक्षा संकेत के तौर पर देखा जा रहा है.
इसके साथ ही बुधवार रात पाकिस्तान एयरफोर्स ने आपात स्थिति में 18 फाइटर जेट्स को सरगर्म कर दिया, जिन्हें भारत सीमा के करीब एयरबेस पर तैनात किया गया है.
पाकिस्तान का X हैंडल भारत में प्रतिबंधित
भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार के X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट को भारत में ब्लॉक कर दिया है. इसे डिजिटल डिप्लोमेसी के तहत कड़ा संदेश माना जा रहा है.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: अमेरिका की यात्रा चेतावनी
इस बीच, अमेरिका ने भी घटनाक्रम को गंभीरता से लेते हुए अपने नागरिकों के लिए जम्मू-कश्मीर न जाने की सलाह जारी की है. यह संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हालात को लेकर चिंता बढ़ गई है.
भारत और पाकिस्तान के बीच यह नया घटनाक्रम एक निर्णायक मोड़ की ओर इशारा करता है. आने वाले दिन सिर्फ सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिहाज़ से भी बेहद अहम साबित हो सकते हैं.
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