अमृतसर: भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव का असर अब सीमाओं पर दिखने लगा है. गुरुवार को अटारी-वाघा बॉर्डर पर होने वाली पारंपरिक रिट्रीट सेरेमनी में इस बार कुछ अलग नजारा देखने को मिला. सामान्य रूप से हर दिन दोनों देशों के गेट खोले जाते हैं और सीमाओं पर प्रतीकात्मक मित्रता दिखती है, लेकिन इस बार न तो गेट खोले गए और न ही बीएसएफ जवानों ने पाकिस्तानी रेंजर्स से परंपरागत हैंडशेक किया.
कमज़ोर पड़ी भागीदारी, लेकिन कायम रहा जोश
रोज़ाना लगभग 20,000 लोगों की मौजूदगी वाली यह सेरेमनी इस बार सन्नाटे की झलक लिए थी. महज़ 10,000 दर्शक पहुंचे, जिनमें से अधिकांश ने हाथ में तिरंगा थामे देशभक्ति के नारे लगाए. हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने लोगों के मन में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है, जिसका असर यहाँ भी साफ दिखा.
सीमाओं पर आवाजाही पर सख्ती
भारत सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ाते हुए अटारी बॉर्डर पर नागरिक आवाजाही को सीमित कर दिया है. पाकिस्तान से भारत आए नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का निर्देश दिया गया है. प्रोटोकॉल ऑफिसर अरुण माहल ने जानकारी दी कि गुरुवार को 105 भारतीय नागरिक पाकिस्तान से लौटे हैं, जबकि 28 पाकिस्तानी नागरिक स्वदेश वापस गए हैं.
इमोशन्स से भरे विदाई के पल
सीमा पर लौट रहे कई पाकिस्तानी नागरिकों के चेहरे पर भावुकता साफ देखी जा सकती थी. सादिया, जो अपने मायके भारत आई थीं, ने कहा, "मैं भारत की बेटी हूं. यहीं पली-बढ़ी हूं, लेकिन मेरी शादी पाकिस्तान में हुई. अब हालात ऐसे हैं कि वापस जाना पड़ रहा है." उन्होंने आगे कहा कि वह आतंकवादी घटना को लेकर कुछ नहीं कहना चाहतीं, लेकिन यह समय बहुत मुश्किल है.
वहीं पाकिस्तान से लौटे भारतीय नागरिक साजिद, जो कराची में एक विवाह समारोह में शामिल होने गए थे, ने बताया कि उन्होंने 30 दिन का वीजा लिया था, लेकिन हालात को देखते हुए 10 दिन में ही लौटने का फैसला किया.
सीमा पर लगे प्रतिबंधों से असमंजस में लोग
कुछ भारतीय नागरिक, जिनके पास पाकिस्तान जाने का वैध वीजा था, उन्हें भी अटारी बॉर्डर से वापस भेज दिया गया. इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार फिलहाल हर प्रकार की अस्थिरता से बचने की रणनीति पर चल रही है.
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