दक्षिणी सीरिया बना युद्ध का नया मैदान, इजरायल ने दागीं टैंक रोधी मिसाइलें, क्या ये नए जंग की शुरुआत है?

    मध्य पूर्व में जंग की आग अभी बुझी नहीं थी कि एक और मोर्चा खुलता दिखाई दे रहा है. इस बार केंद्र बना है सीरिया का स्वीदा प्रांत, जहां हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं.

    Southern Syria new battlefield Israel fired anti-tank missiles
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    मध्य पूर्व में जंग की आग अभी बुझी नहीं थी कि एक और मोर्चा खुलता दिखाई दे रहा है. इस बार केंद्र बना है सीरिया का स्वीदा प्रांत, जहां हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं. इजरायली सेना ने सोमवार को सीरियाई सैन्य टैंकों को निशाना बनाया, जिसकी पुष्टि खुद इजरायली रक्षा बलों (IDF) ने की है. इस बार मामला केवल दो देशों की सैन्य टकराव का नहीं है. मामला ड्रूज़ समुदाय की सुरक्षा से जुड़ा है, जो सीरिया, इजरायल और लेबनान में फैले एक धार्मिक अल्पसंख्यक समूह हैं.

    क्यों भड़का नया संघर्ष?

    स्वीदा प्रांत में पिछले कई दिनों से सीरियाई सरकारी बलों और स्थानीय मिलिशिया, जिनमें बेडोइन जनजातियों और ड्रूज़ लड़ाकों की झड़प चल रही थी, लेकिन सोमवार को स्थिति उस वक्त विस्फोटक हो गई, जब सीरियाई सरकार ने वहां नियंत्रण पाने के लिए भारी बल भेजा. जवाब में स्थानीय हथियारबंद समूहों ने मोर्चा खोल दिया.

    ब्रिटेन स्थित ‘सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स’ के मुताबिक, अब तक 100 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें बच्चे और सीरियाई सुरक्षाबल भी शामिल हैं. गृह मंत्रालय ने भी 30 से ज़्यादा मौतों और 100 से अधिक लोगों के घायल होने की बात मानी है.

    इजरायल की एंट्री क्यों?

    ड्रूज़ समुदाय की मौजूदगी और सुरक्षा का मामला इजरायल के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है. इजरायल में ड्रूज़ समुदाय को ‘वफादार अल्पसंख्यक’ माना जाता है, और वे सेना में भी बड़े पैमाने पर सेवा करते हैं.

    इजरायल ने पहले ही चेतावनी दे रखी थी कि अगर सीरिया में ड्रूज़ नागरिकों पर खतरा बढ़ा, तो वह हस्तक्षेप करने में संकोच नहीं करेगा. अब जब स्वीदा में हालात बेकाबू हो गए और ड्रूज़ मिलिशिया पर हमला हुआ, तो इजरायली सेना ने सीमा पार से सीरियाई टैंकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया.

    पुरानी रंजिश, नया शक

    इजरायल और सीरिया के बीच दशकों से भरोसे की दीवारें टूटी हुई हैं. 1967 में हुए युद्ध में इजरायल ने गोलान हाइट्स पर कब्जा कर लिया था और 1981 में उसे अपने में मिला लिया था, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली है.

    अब जबकि पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद की सत्ता पतन के कगार पर है और सीरिया के भीतर सत्ता की नई संरचना उभर रही है, इजरायल को आशंका है कि कहीं उसकी सीमाओं के पास कट्टर इस्लामी ताकतें ना जम जाएं. इसी खतरे के जवाब में इजरायली सेना पहले ही सीरिया में सैकड़ों हवाई हमले कर चुकी है, और अब वो ग्राउंड ऑपरेशन के भी संकेत दे रही है.

    ड्रूज़: तीन देशों में बिखरी एक आत्मा

    आज दुनिया में करीब 10 लाख ड्रूज़ लोग हैं. इनमें आधे से ज़्यादा सीरिया में रहते हैं, जबकि बाकी लेबनान और इजरायल में हैं. इजरायल में यह समुदाय खासा सम्मानित है और सेना में उनकी उपस्थिति अलग पहचान रखती है. इसीलिए जब सीरिया में ड्रूज़ पर खतरा बढ़ा, तो इजरायल ने इसे सिर्फ एक मानवाधिकार संकट नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला मानते हुए हस्तक्षेप किया है.

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