मॉस्कोः अमेरिकी में डोनाल्ड ट्रंप के पदभार ग्रहण करने से कुछ हफ्ते पहले व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को सामान्य करने के लिए तैयार है, बशर्ते कि इस तरह के प्रयासों से रूसी हितों से समझौता न हो.
'अगर इच्छा हो तो सब कुछ करना संभव है'
रूसी टीवी और रेडियो आउटलेट VGTRK के साथ एक इंटरव्यू में पुतिन ने कहा, "अगर इच्छा हो तो सब कुछ करना संभव है. हमने कभी इस इच्छा को नहीं छोड़ा है." रूसी राष्ट्रपति रूस और अमेरिका के बीच अपने संबंधों को सामान्य करने की संभावना के बारे में एक सवाल का जवाब दे रहे थे, जैसा कि रूसी समाचार एजेंसी TASS द्वारा रिपोर्ट किया गया है.
पुतिन ने जोर दिया, "अगर हम देखते हैं कि स्थिति इस तरह से बदलती है कि अन्य देशों के साथ संबंध बनाने के अवसर और संभावनाएं हैं, तो हम इसके लिए तैयार हैं. यह हमारा सवाल नहीं है बल्कि यह उनका सवाल है, लेकिन यह रूसी संघ के हितों को नुकसान पहुंचाए बिना होना चाहिए." पुतिन ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में आए बदलावों पर जोर देने के लिए 19वीं और 20वीं सदी का उदाहरण दिया और याद दिलाया कि 1853-1856 के क्रीमिया युद्ध के बाद जब रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे, तब रूसी साम्राज्य के तत्कालीन विदेश मंत्री अलेक्जेंडर गोरचकोव ने इन शब्दों के साथ एक पत्र भेजा था: "रूस नाराज नहीं है. रूस ध्यान केंद्रित कर रहा है."
'जैसे-जैसे रूस ध्यान केंद्रित कर रहा था...'
TASS ने पुतिन के हवाले से कहा, "धीरे-धीरे, जैसे-जैसे रूस ध्यान केंद्रित कर रहा था, उसने काला सागर में अपने सभी अधिकार वापस कर दिए, मजबूत होता गया और इसी तरह आगे बढ़ता गया." पुतिन ने इस तथ्य की ओर भी ध्यान आकर्षित किया कि कुछ इतिहासकारों ने क्रीमिया युद्ध को 'विश्व युद्ध शून्य' के रूप में बताया है क्योंकि व्यावहारिक रूप से सभी यूरोपीय शक्तियों ने रूस के खिलाफ इसमें भाग लिया था. हालांकि, रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि स्थिति बदल गई है और ये वही देश हैं जो पहले विश्व युद्ध के दौरान रूस के सहयोगी थे. सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार , पुतिन ने VGTRK पत्रकार पावेल ज़ारुबिन के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि राजनेताओं की पिछली पीढ़ियों ने तथाकथित सभ्य दुनिया में शामिल होने का विकल्प चुनकर रूस को बर्बाद कर दिया, लेकिन यही पश्चिम चाहता था.
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