मुंबई (महाराष्ट्र) : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नीतिगत रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का फैसला किया है क्योंकि खुदरा मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के अपने लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है यह निर्णय घरेलू और वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितताओं की पृष्ठभूमि में आया है. एमपीसी ने छह में से चार सदस्यों की सहमति से बहुमत के फैसले में रेपो दर को स्थिर रखने का विकल्प चुना.
नतीजन, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत पर बनी हुई है, जबकि सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर बनी हुई है.
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प्रेस में शक्तिकांत दास ने कही ये बात
गवर्नर दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौद्रिक नीति के प्रति संतुलित दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया. दास ने आर्थिक विकास को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति को लक्षित सीमा के अनुरूप सुनिश्चित करने के लिए धीरे-धीरे समायोजन वापस लेने की एमपीसी की प्रतिबद्धता को दोहराया.
आरबीआई गवर्नर ने कहा, "मौद्रिक नीति को मुद्रास्फीति को कम करने वाला बने रहना चाहिए और मुद्रास्फीति को टिकाऊ आधार पर 4 प्रतिशत के लक्ष्य के अनुरूप लाने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहना चाहिए, मूल्य स्थिरता को मजबूत आधार पर बनाए रखना चाहिए"
2024-25 वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का अनुमान
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपने विकास अनुमानों को संशोधित किया, जिसमें 7.2 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है. तिमाही विकास अनुमान Q1 के लिए 7.3 प्रतिशत, Q2 के लिए 7.2 प्रतिशत, Q3 के लिए 7.3 प्रतिशत और Q4 के लिए 7.2 प्रतिशत है.
गवर्नर दास ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विकास के दृष्टिकोण के लिए जोखिम समान रूप से संतुलित है. रेपो दर को अपरिवर्तित रखने का निर्णय मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक सुधार का समर्थन करने के उद्देश्यों को संतुलित करने के लिए आरबीआई के सतर्क नजरिया का संकेत देता है.
यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था भू-राजनीतिक तनावों और COVID-19 महामारी के लंबे समय तक चलने वाले प्रभावों से उत्पन्न अनिश्चितताओं से जूझ रही है.
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