कनाडा में PM ट्रूडो, विपक्षी नेता पोइलिवर की मौजूदगी में लगे खालिस्तान समर्थक नारे

    Pro-Khalistan slogans in Canada : PM ट्रूडो जब संबोधन के लिए मंच की तरफ जाने वाले थे तब खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे. टोरंटो में खालसा दिवस समारोह में हजारों लोग उमड़े थे.

    कनाडा में PM ट्रूडो, विपक्षी नेता पोइलिवर की मौजूदगी में खालिस्तान समर्थक नारे लगे
    कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो और विपक्ष के नेता पियरे पोइलिवर | Photo-ANI

    टोरंटो (कनाडा) : टोरंटो में आयोजित खालसा दिवस समारोह में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ-साथ विपक्षी नेता पियरे पोइलिवर की उपस्थिति में खालिस्तान समर्थक नारे लगाए गए. यह हाल के दिनों में कनाडा में भारत विरोधी भावना में तेज वृद्धि के बीच आया है.

    जैसे ही पीएम ट्रूडो खालसा दिवस के अवसर पर अपने संबोधन के लिए मंच पर जाने वाले थे, कनाडा स्थित सीपीएसी टीवी द्वारा जारी किए गए वीडियो में उनके आने और अपना भाषण शुरू करने तक नारेबाजी तेज होते सुनाई दी.

    इस कार्यक्रम में "खालिस्तान जिंदाबाद" के नारे लगे, जिसमें एनडीपी नेता जगमीत सिंह और टोरंटो मेयर ओलिविया चाउ भी मौजूद थे.

    इसी तरह का एक उदाहरण तब भी देखने को मिला जब कनाडा के आधिकारिक विपक्ष के नेता पियरे पोइलिवर कार्यक्रम में जुटे लोगों को अपना संबोधन शुरू करने के लिए मंच पर आए.

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    टोरंटो शहर के इस कार्यक्रम में उमड़े थे बड़ी संख्या में लोग

    शहर के सबसे बड़े वार्षिक समारोहों में से एक के लिए रविवार को हजारों लोग टोरंटो शहर में उमड़े थे.

    ओंटारियो सिख और गुरुद्वारा परिषद (ओएसजीसी) के अनुसार, वैसाखी, जिसे खालसा दिवस भी कहा जाता है, 1699 में सिख समुदाय की स्थापना के साथ-साथ सिख नव वर्ष की याद दिलाता है.

    समूह कई वर्षों से लेक शोर बुलेवार्ड के नीचे एक वार्षिक परेड का आयोजन करता रहा है; सीबीसी न्यूज के अनुसार, परिषद का दावा है कि यह देश की तीसरी सबसे बड़ी परेड है और इसमें नियमित रूप से हजारों दर्शक आते हैं.

    इससे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो जब टोरंटो में सिख समुदाय को संबोधित करने के लिए आगे बढ़े तो भीड़ में से खालिस्तान के समर्थन में जोरदार नारे लगाए गए. ट्रूडो ने देश में सिख समुदाय को ठोस आश्वासन देते हुए कहा है कि सरकार हर कीमत पर उनके अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हमेशा मौजूद है.

    कनाडा के पीएम ने विविधता को बताया देश की ताकत

    ट्रूडो ने रविवार को टोरंटो में खालसा दिवस समारोह के दौरान कहा, "कनाडा की सबसे बड़ी ताकत में से एक इसकी विविधता है. हम अपने मतभेदों के बावजूद नहीं, बल्कि अपने इसी अलग-अलग मतों के कारण मजबूत हैं; लेकिन जब हम इन मतभेदों को देखें, तो हमें याद रखना होगा, और इस तरह के मौकों को याद करना होगा, और यह हर दिन याद रखना होगा कि सिख मूल्य, कनाडाई मूल्य हैं..."

    उन्होंने कहा, "हम देशभर में सिख विरासत के लगभग 800,000 कनाडाई लोगों के अधिकारों और आपकी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हमेशा मौजूद रहेंगे, और हम हमेशा नफरत और भेदभाव के खिलाफ आपके समुदाय की रक्षा करेंगे."

    कनाडाई पीएम ने यह भी कहा कि देश "सामुदायिक केंद्रों और गुरुद्वारों समेत पूजा स्थलों पर अधिक सुरक्षा बढ़ाकर" सेक्योरिटी व बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है.

    कहा- कनाडा में अधिकार और स्वतंत्रता मौलिक अधिकार में शामिल

    ट्रूडो ने खालसा दिवस के अपने संबोधन में सिख समुदाय को आश्वासन दिया, "स्वतंत्र रूप से और बिना किसी डर के अपने धर्म का पालन करने का आपका बिल्कुल यही अधिकार है. अधिकार और स्वतंत्रता कनाडाई चार्टर में गारंटीकृत एक मौलिक अधिकार है, जिसके लिए हम हमेशा खड़े रहेंगे और आपकी रक्षा करेंगे." 

    हालांकि, जब ट्रूडो बोल रहे थे, तो बैकग्राउंड में खालिस्तान समर्थकों नारे भी सुनाई दिए.

    ट्रूडो ने अपना संबोधन जारी रखते हुए कहा, "मुझे पता है कि आप में से कई लोगों के पास ऐसे प्रियजन हैं जिन्हें आप अक्सर देखना चाहते हैं, यही कारण है कि हमारी सरकार ने हमारे देशों के बीच अधिक उड़ानें और अधिक मार्ग बढ़ाने के लिए भारत के साथ एक नए समझौते पर बातचीत की है. और हम अमृतसर समेत और भी अधिक उड़ानों के लिए अपने समकक्षों के साथ काम करना जारी रखेंगे."

    भारत और कनाडा का डेप्लोमैटिक संबंध कठिन दौर से गुजर रहा

    ट्रूडो की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध कठिन दौर से गुजर रहे हैं.

    यह विशेष रूप से, भारत द्वारा नामित आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर हुआ है, जिसने भारत और कनाडा के बीच विवाद को जन्म दिया है. निज्जर, जिसे 2020 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा आतंकवादी नामित किया गया था, जिसकी 18 जून, 2023 की शाम को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे (Surrey) में एक गुरुद्वारे से बाहर निकलते ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

    हत्या के कारण प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि हत्या में भारत सरकार का हाथ था - इस दावे का भारत ने खंडन किया था और कनाडा व भारत के बीच राजनयिक संबंधों में गिरावट आ गई थी.

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