कांवड़ यात्रा मार्ग की दुकानों से 'नेमप्लेट' हटाने का SC का फैसला, महुआ मोइत्रा समेत इन्होंने लड़ी लड़ाई

    मोइत्रा ने कहा "मुझे खुशी है; हमने कल याचिका दायर की थी और आज यह सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला दिया है. याचिका दायर करने वालों में डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद समेत शामिल थे.

    कांवड़ यात्रा मार्ग की दुकानों से 'नेमप्लेट' हटाने का SC का फैसला, महुआ मोइत्रा समेत इन्होंने लड़ी लड़ाई
    टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, आकार पटेल और डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद | Photo- ANI and Socoal media

    नई दिल्ली : कांवड़ यात्रा मार्गों पर दुकानों से 'नेमप्लेट्स' लगाने के प्रशासनिक आदेशों पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. दिलचस्प है कि इसको लेकर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, नागरिक अधिकार संरक्षण संघ, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद और कार्यकर्ता आकार पटेल ने याचिकाएं दायर की थीं. सांसद महुआ मोइत्रा ने शीर्ष अदालत के इस पर तेजी से फैसला सुनाने पर खुशी जताई है.

    गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के प्रशासन ने सुरक्षा-व्यवस्था का हवाला देते हुए कांवड़ यात्रा मार्गों पर दुकानों पर नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया था जिसके खिलाफ इन लोगों ने याचिका दायर की थी.

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    महुआ मोइत्रा ने प्रशासन के आदेश को संविधान के खिलाफ बताया था

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा कांवड़ यात्रा मार्गों पर भोजनालयों पर 'नेमप्लेट' लगाने पर अंतरिम रोक के बाद, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद और याचिकाकर्ता महुआ मोइत्रा ने सोमवार को उन्होंने खुशी जाहिर की और सरकार के कदम को "असंवैधानिक आदेश" करार दिया. उन्होंने कहा कि यह आदेश संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है.

    गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कुछ राज्य सरकारों के अधिकारियों द्वारा जारी निर्देशों पर अंतरिम रोक लगा दी है कि जिसमें कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के बाहर मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया था.

    मोइत्रा ने अपनी याचिका पर आए फैसले पर जताई खुशी

    मोइत्रा ने कहा "मुझे खुशी है; हमने कल याचिका दायर की थी और आज यह सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला दिया है. यह हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ अनुच्छेद 15, 19 पूरी खिलाफ आदेश था और अब इस आदेश पर रोक लग गई है और मालिकों और कर्मचारियों की पहचान और नाम प्रदर्शित करने की कोई आवश्यकता नहीं है. दुकानों में केवल शाकाहारी/मांसाहारी साइनबोर्ड ही लगाए जाने हैं.

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    मोइत्रा ने बंगाल की अपनी सीएम ममता बनर्जी को धन्यवाद कहा

    मोइत्रा ने टीएमसी पार्टी की प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सुप्रीम कोर्ट को अपने पक्ष में खड़े होने के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि हम इस आदेश के खिलाफ खड़े हुए और मैं अपनी पार्टी और अपनी नेता ममता बनर्जी का बहुत आभारी हूं, जो हमेशा किसी भी असंवैधानिक चीज के खिलाफ खड़ी रही हैं."

    शिवसेना यूबीटी और जेडीयू ने भी किया फैसले का स्वागात

    कांवड़ यात्रा में नेमप्लेट्स पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने स्वागत किया. सावंत ने कहा, "मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं...सुप्रीम कोर्ट ने संविधान को बचाने का काम किया है. इस तरह की गंदी राजनीति सत्तारूढ़ भाजपा करती है."

    इस बीच, जेडी(यू) नेता केसी त्यागी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और शीर्ष अदालत को धन्यवाद दिया.

    पुलिस ने कहा था- ये फैसला कानून-व्यवस्था के हित में लिया गया हैं

    इस मामले पर अंतिम सुनवाई 26 जुलाई को होगी. शीर्ष अदालत उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा दुकानदारों को कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों के बाहर अपना नाम प्रदर्शित करने के निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

    पुलिस ने कहा था कि यह फैसला कानून-व्यवस्था के हित में लिया गया है. कथित तौर पर यह निर्देश उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कई जिलों में लागू किया गया और मध्य प्रदेश ने भी इसी तरह के निर्देश जारी किए.

    महुआ मोइत्रा, प्रोफेसर अपूर्वानंद समेत ने दायर की थी याचिका

    सांसद महुआ मोइत्रा, नागरिक अधिकार संरक्षण संघ, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद और कार्यकर्ता आकार पटेल ने याचिकाएं दायर की थीं. उन्होंने निर्देशों को चुनौती देते हुए कहा था कि इससे धार्मिक भेदभाव हो रहा है और ऐसे निर्देश जारी करने के लिए अधिकारियों के पावर के सोर्स पर सवाल उठाया है.

    पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्गों पर खाने-पीनी की दुकानों पर उसके संचालक/मालिक का नाम प्रदर्शित करने को कहा गया था. महुआ मोइत्रा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कांवड़ यात्राएं दशकों से होती आ रही हैं और मुस्लिम, ईसाई और बौद्ध सहित सभी धर्मों के लोग उनकी यात्रा में मदद करते हैं.

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