सिब्बल बोले- EC प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताए क्यों देर से जारी किया वोटिंग डेटा, विशेषज्ञ को 'खेल' का डर

    Election Commission voting data : चुनाव आयोग के देर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक पहले चरण में 66.14 फीसदी और दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत वोटिंग हुई है.

    सिब्बल बोले- EC प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताए क्यों देर से जारी किया वोटिंग डेटा, विशेषज्ञ को 'खेल' का डर

    Election Commission voting data 

    नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव 2024 के पहले और दूसरे चरण का आंकड़ा (Data) 11 दिन देर से जारी करने पर अब पूर्व कांग्रेस नेता रहे और मौजूदा सपा के राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भारतीय चुनाव आयोग (ECI) पर सवाल उठाया है. वहीं इससे पहले विपक्ष के कांग्रेस नेता जयराम रमेश, सीपएम नेता सीताराम येचुरी ने भी इन आंकड़ों के साथ गड़बड़ किए जाने की आशंका जताते हुए चुनाव आयोग से वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या जारी करने की मांग की थी.

    चुनाव आयोग के देर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक पहले चरण में 66.14 फीसदी और दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत वोटिंग हुई है.

    गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल और 26 अप्रैल को हुआ था. चुनाव आयोग ने इनका फाइनल डेटा 11 दिन लेट यानि 1 मई को, एक साथ जारी किया है. लेकिन यह सिर्फ वोटों का प्रतिशत है, जो पहले बताए गए लगभग 60 फीसदी के मुकाबले 6 फीसदी से ज्यादा है. पहले यह क्रमश: 4.6, 4.7 फीसदी था. जो कि लगभग 5 फीसदी कम था.

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    कपिल सिब्बल ने कहा- आखिर 11 दिन क्यों लगे, आयोग प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताए

    कपिल सिब्बल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इलेक्शन कमीशन को ये बताना चाहिए कि इन फाइनल आंकड़ों को जारी करने में इतना दिन क्यों लग गए? क्योंकि मैंने कई पूर्व इलेक्शन कमिश्नर से बात की है उन्होंने कहा कि हम जब इलेक्शन कमीशन में थे या तो उसी शाम को या अगले दिन सुबह वेबसाइट पर नतीजे आ जाते थे कि कितने लोगों ने वोट किया है."

    उन्होंने कहा, "आखिर 11 दिन क्यों लगे? जब ये संदेह पैदा होता है तो निश्चित रूप से लोगों का विश्वास घटता जाता है. और आज के हिंदुस्तान की स्थिति ऐसी है कि कोई भी ऐसी संस्था नहीं है, जिस पर कि लोगों को शक न हो. चाहे वो ईडी हो, सीबीआई हो, गवर्नर साहब हों, चाहे हमारे पार्लियामेंट में जो कार्रवाई हो रही है वो हो, जिसको लेकर देश का नागरिक सोचता है कि कहीं न कहीं लोकतंत्र के आधार पर हमारा देश नहीं चल रहा है." 

    राजनीतिक विश्लेषक ने कहा- आंकड़ों के साथ 2019 की तरह हो सकता है बड़ा खेल

    वहीं एक दिन पहले जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक और स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने अपने एक्स हैंडल पर एक 2 मिनट 51 सेकेंड एक वीडियो जारी कर दोबार चुनाव आगोय के देर से जारी आकड़ों पर सवाल उठाया है.

    योगेंद्र ने इस वीडियो के साथ लिखा है, "पिछले 35 साल में ऐसा मैंने पहली बार देखा है कि चुनाव आयोग मतदान के सटीक आंकड़े ज़ाहिर करने में 10 दिन से ज़्यादा लगा रहा है व उसके बाद भी सटीक आंकड़े ज़ाहिर नहीं कर रहा है. इस तरह आंकड़े छुपाना चुनावों की विश्वसनीयता पर प्रश्न खड़े करता है! देश में चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को बनाये रखने के लिए चुनाव आयोग कम से कम बाकी बचे हुए चरणों के एग्जैक्ट आंकड़े 24 घंटे में जारी करने चाहिए."

    उन्होंने वीडियो में कहा, "पहले ऐसा कभी नहीं हुआ है. पहले चुनाव आयोग शाम को बताता था कि इतना मतदान हुआ, और अगले 24 घंटे में फाइनल आंकड़ा दे देता था. किस लोकसभा क्षेत्र में कितने वोटर थे, कितने वोटर ने मतदान किया. महिला-पुरुष हर सेगमेंट में बताता था."

    "इस बार इलेक्शन कमीशन ने एक एप बना दिया है. इसमें डेटा चुनाव क्षेत्र का आ रहा था. लेकिन बदलता गया, बदलता गया और एक-दो दिन नहीं चौथे दिन तक बदलता गया. चौथे दिन भी फाइनल आंकाड़ा आयोग ने रिलीज नहीं किया. 11 दिन लग गए. 19 तारीख का आंकड़ा 30 तारीख को रिलीज किया. जब रिलीज भी किया तो ये नहीं बताया के कितना वोट पड़ा है बल्कि प्रतिशत में बताया कि 56.50 प्रतिशत. और जब प्रतिशत का आंकड़ा जब लाखों की संख्या का हो तो उसमें तो 200, 500, 1000 का हेरफेर तो आराम से हो सकता है."

    योगेंद्र ने कहा, "यह मामला सिर्फ आंकड़ेबाजी का नहीं है. इसके पीछे बहुत बड़ी संख्या और डर है. डर ये है कि जितने लोगों ने वाकई में वोट डाला, उतने ही दिखाए जा रहे हैं या कहीं पोलिंग बूथ प वोटिंग बंद होने के बाद वोटों में बढ़ोत्तरी हुई है. और अगर हुई है तो किसके पक्ष में हुई है. कहीं ऐसा तो नहीं कि जितने वोट गिने जाएंगे वो ज्यादा होंगे, जितने वोट पड़े हैं वो कम. ऐसा 2019 में हो चुका है कि किस बूथ और किस चुनाव क्षेत्र में कितने वोट पड़े थे और काउंटिंग का आंकड़ा आया तो दोनों आंकड़ा मैच नहीं कर रहा था. 20-20, 40-40 हजार का फर्क था. इलेक्शन कमीशन ने चुपचाप वोट के आंकड़े हटा दिए. कहीं वही खेल तो नहीं हो रहा है."

    'चुनाव आयोग को इस अत्यधिक देरी का स्पष्टीकरण देना होगा'

    राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, "यह बहुत बड़ा सवाल है. इसका सीधा संबंध चुनावों की विश्वसनीयता से है. मुझे आज भी भरोसा है कम से कम चुनाव आयोग बाकी बचे चरणों के एग्जैक्ट आंकड़े पहले की तरह 24 घंटे में रिलीज करे. और बताए कितने वोट किस जगह पड़े."

    उन्होंने एक्स के अपने हैंडल पर लिखा है, "जबकि  (मतदान दिवस शाम) और अंतिम मतदान आंकड़ों के बीच 3 से 5% अंकों का अंतर असामान्य नहीं, हमें अंतिम डेटा 24 घंटों के भीतर मिल जाता था. प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदाताओं और डाले गए वोटों की वास्तविक संख्या का खुलासा न किया जाना, बल्कि प्रतिशत चुनावी ऑडिट में मदद नहीं करते. हां, यह जानकारी प्रत्येक बूथ के लिए फॉर्म 17 में दर्ज की जाती है और उम्मीदवार के एजेंट के पास उपलब्ध होती है, लेकिन डाले गए वोटों और गिने गए वोटों के बीच हेराफेरी या विसंगति की किसी भी संभावना को खत्म करने के लिए केवल ईसीआई ही समग्र डेटा दे सकता है और देना ही चाहिए. इस अत्यधिक देरी और रिपोर्टिंग प्रारूप में अचानक बदलाव के लिए स्पष्टीकरण देना होगा."

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    आयोग ने पहले और दूसरे चरण के मतदान का दिया था गिरावट का आंकड़ा

    चुनाव आयोग की तरफ से 26 अप्रैल को हुए दूसरे चरण के मतदान के अगले दिन सुबह यानि 27 अप्रैल को सुबह 9 बजे तक सामने आए आंकड़ों के मुताबिक दूसरे चरण में 65.4 फीसदी मतदान हुआ था. जो 2019 के मुकाबले 4.7 फीसदी, लगभग 5 फीसदी कम था. आयोग ने कहा था इसके पहले चरण की तरह 4% प्रतिशत कम होने की संभावना है.

    वहीं भारत 24 ने पहले चरण के वोटों की गिरावट की रिपोर्ट की थी, जिसके मुताबिक लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में भी 2019 की तुलना में वोटो में 4.6 फीसदी की बड़ी गिरावट हुई थी. 2019 में जहां इन सीटों पर मतदान 69.9 फीसदी हुआ था, तो वहीं 2024 में यह 65.3 प्रतिशत ही रहा है. यानि 4.6 फीसदी की गिरावट. लगभग 76 लाख वोटरों ने वोट नहीं डाला है. पहले चरण में 102 सीटों पर हुए मतदान में NDA उम्मीदवारों की सीटों पर यह गिरावट जहां दोगुनी, यानि 5.9 फीसदी रही है, वहीं नॉन एनडीए (कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल) की सीटों पर यह गिरावट लगभग आधी, यानि 3.2 फीसदी है.

    कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उठाया था ईसी पर सवाल, कहा था- ऐसा पहली बार हो रहा 

    इससे पहले राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश भी आंकड़ों में हुई देरी को लेकर सवाल किया था. उन्होंने कहा था, “ऐसा पहली बार हो रहा है कि पहले चरण के मतदान के 11 दिन बाद और दूसरे चरण के चार दिन बाद भी चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत का अंतिम डेटा जारी नहीं किया है. पहले चुनाव आयोग मतदान के तुरंत बाद या 24 घंटों के भीतर मतदान प्रतिशत का अंतिम डेटा जारी करता था. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर केवल अनुमानित रुझान आंकड़े ही उपलब्ध हैं. इस देरी का कारण क्या है? इसके अलावा प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र और उन लोकसभा क्षेत्रों में शामिल विधानसभाओं में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या भी आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है. अभी एक चुनिंदा राज्य की बूथ-वार मतदान सूचियां ही दिख रही हैं. भारत के निर्वाचन आयोग के लिए आवश्यक है कि चुनाव संबंधी सभी आंकड़े समय पर और पारदर्शी ढंग से जारी हो."

    उन्होंने कहा था, "ऐसा पहली बार हो रहा है कि पहले चरण के मतदान के 11 दिन बाद और दूसरे चरण के चार दिन बाद भी चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत का अंतिम डेटा जारी नहीं किया है. पहले चुनाव आयोग मतदान के तुरंत बाद या 24 घंटों के भीतर मतदान प्रतिशत का अंतिम डेटा जारी करता था."

    सीपीएम नेता येचुरी बोले- मतदाताओं की संख्या बताए बिना, वोट प्रतिशत बेकार की जानकारी

    भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीआई(एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने चुनाव आयोग की वोटिंग प्रतिशत सवालिया निशान खड़े किए हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा, “फाइनली चुनाव आयोग ने पहले दो चरणों के मतदान के अंतिम आंकड़े पेश कर दिए हैं, जो सामान्य तौर पर शुरुआती आंकड़ों से कम नहीं बल्कि ज्यादा है. वहीं प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की पूर्ण संख्या क्यों नहीं बताई जाती? जब तक ये नंबर नहीं है, ये वोटिंग प्रतिशत बेकार है. इन नतीजों में हेरफेर होने की आशंका बनी हुई है क्योंकि गिनती के समय कुल मतदाता संख्या में बदलाव किया जा सकता है. इससे पहले 2014 तक प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या हमेशा ईसीआई वेबसाइट पर उपलब्ध थी. ईसीआई को पारदर्शी होना चाहिए और इस डेटा को सबके सामने रखना चाहिए.”

    आयोग ने शुरुआती आंकड़ों में बताया था 2019 की तुलना में घटी है इस बार वोटिंग 

    वहीं लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण पहले चरणें 102 सीटो के लिए 19 अप्रैल को चुनाव हुआ था. दूसरे चरण चरण की वोटिंग 26 अप्रैल को 88 संसदीय सीटों के लिए हुई थी. चुनाव आयोग आयोग के वोटिंग की फाइनल डेटा के अनुसार पहले चरण में 66.14 फीसदी और दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत मतदान हुआ है. ऐसे में पिछली बार की तुलना में इस बार कमी दर्ज की गई है. दरअसल 2019 लोकसभा चुनाव में पहले और दूसरे चरण में क्रमशः 69.43 और 69.17 वोटिंग दर्ज की गई थी.

    अब तक 190 सीटों पर हुई है मतदान की प्रकिया, 94 सीटों पर मतदान 7 मई को  

    अब तक कुल 190 संसदीय सीटों के लिए मतदान प्रकिया पूरी हो चुकी है. इस बार 7 चरणों में वोटिंग हो रही है. शुरुआती दो फेज पूरा हो चुका है. तीसरे फेज की वोटिंग 7 मई को है. वहीं आखिरी फेज 1 जून को है. देशभर के कुल 543 लोकसभा सीटों के नतीजे एक साथ 4 जून को सामने आएंगे.

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