Haryana : दुष्यंत चौटाला ने फिर दिया कांग्रेस को समर्थन का ऑफर, राज्यपाल से की फ्लोर टेस्ट की मांग

    Dushyant Chautala proposal to Congress : दुष्यंत ने राज्यपाल से अपील की है कि मौजूद सरकार बहुमत साबित न कर पाए तो जल्द फ्लोर टेस्ट हो और राष्ट्रपति शासन लगे.

    Haryana : दुष्यंत चौटाला ने फिर दिया कांग्रेस को समर्थन का ऑफर, राज्यपाल से की फ्लोर टेस्ट की मांग

    हिसार (हरियाणा) : हरियाणा में तीन निर्दलीय विधायकों द्वारा भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने के कारण पैदा हुए राजनीतिक संकट के बीच, पूर्व उपमुख्यमंत्री और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) सुप्रीमो, दुष्यंत चौटाला ने गुरुवार को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखकर मौजूदा राजनीतिक गतिरोध को खत्म करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने और विधानसभा में बहुमत साबित करने में असमर्थ रहने पर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की.

    अपने पत्र में, दुष्यंत ने राज्यपाल से आग्रह किया कि अगर सरकार सदन में बहुमत साबित करने में विफल रहती है तो जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराएं और राष्ट्रपति शासन लगाएं.

    दुष्यंत ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा है, "घटनाक्रम और पार्टी के स्पष्ट रुख को देखते हुए, यानी, जेजेपी, जो मौजूदा सरकार को अपना समर्थन नहीं देती है और सरकार बनाने के लिए किसी भी अन्य राजनीतिक दल को समर्थन देने के लिए तैयार है, यह स्पष्ट है कि मौजूदा सरकार के पास विधानसभा में अब कोई कमान नहीं है."

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    दुष्यंत चौटाला ने कहा- सरकार के पास बहुमत नहीं, तुरंत लागू हो राष्ट्रपति शासन

    इससे पहले दिन में, जेजेपी प्रमुख ने मौजूदा भाजपा सरकार को गिराने के लिए कांग्रेस को 'बाहर से समर्थन' देने की अपनी पेशकश दोहराई और कहा कि राज्यपाल के पास शक्ति परीक्षण का आदेश देने की पावर है, उन्होंने कहा कि अगर सरकार के पास बहुमत नही है, तो उन्हें एक सेकंड का समय बर्बाद किए बिना राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहिए. 

    पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा, "2 महीने पहले बनी सरकार अब दो विधायकों के बाद अल्पमत में है, जिन्होंने उन्हें समर्थन दिया था - एक भाजपा से और दूसरा एक स्वतंत्र विधायक - ने इस्तीफा दे दिया है. तीन निर्दलीय विधायको जो उनके साथ थे समर्थन वापस ले लिया है और राज्यपाल को बता दिया है. मौजूद जेजेपी ने भी समर्थन वापस ले लिया है और राज्यपाल को यह बात बता दी है कि इस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने की स्थिति में हम उसका समर्थन करेंगे. अब, यह कदम उठाने (फ्लोर टेस्ट की मांग) की जिम्मेदारी कांग्रेस पर है कि क्या वे इस सरकार को घेरने और गिराने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे.'

    7 मई को नायब सिंह सैनी सरकार से 3 विधायकों ने समर्थन लिया वापस

    7 मई को, हरियाणा सरकार को एक बड़ा झटका लगा है जब तीन स्वतंत्र विधायकों ने नायब सैनी सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिससे सरकार अल्पमत में आ गई. ये तीन विधायक पुंडरी से रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर और चरखी दादरी से सोमबीर सिंह सांगवान थे. इन सभी ने कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया.

    हालांकि, भाजपा सत्ता बरकरार रखने को लेकर आश्वस्त नजर आ रही, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने दावा किया कि कांग्रेस और जेजेपी के कई नेता उनकी पार्टी के संपर्क में हैं.

    यह घटनाक्रम लोकसभा चुनावों के बीच हुआ और 2 महीने के भीतर ही नायब सैनी ने खट्टर की जगह सीएम का पद संभाला है.

    90 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी के 39 विधायक, कांग्रेस के 30

    90 सदस्यों के सदन में, भाजपा के 39 विधायक हैं, कांग्रेस के 30, जन नायक जनता पार्टी के 10, हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के एक और इंडियन नेशनल लोक दल के एक और 7 निर्दलीय विधायक हैं.

    भाजपा के पास शुरुआत में 41 विधायक थे, लेकिन दो विधायकों के इस्तीफे के बाद करनाल और रनिया सीटें खाली होने के बाद घटकर 39 रह गई हैं. सात में से छह निर्दलीय विधायक पहले मौजूदा भाजपा का समर्थन करते थे. हालांकि, तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद, वर्तमान में भाजपा के पास केवल तीन निर्दलीय और एक एचएलपी विधायक का समर्थन है, जिससे विधानसभा में उसकी ताकत 43 विधायकों तक पहुंच गई है.

    वहीं राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर अंतिम चरण में 25 मई को मतदान होगा.

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