मुंबई : गुरुवार को मराठी और चार अन्य भाषाओं को "क्लासिकल (शास्त्रीय) भाषा" कैटेगरी में शामिल करने के केंद्र के फैसले के बाद, एनसीपी-एससीपी प्रमुख शरद पवार ने केंद्र सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि यह निर्णय राज्य को मराठी के प्रचार और विकास में मदद करेगा.
शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, पवार ने कहा कि मराठी और अन्य चार भाषाओं- पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली- को इलीट भाषा का दर्जा दिया जाना बहुत महत्वपूर्ण है और राजनेता, मराठी साहित्य परिषद के अधिकारी और अन्य साहित्यकार लंबे समय से इस मामले पर अपनी मांग उठाने में शामिल थे.
Mumbai | On Union Cabinet approves Marathi (along with 4 other languages) as a classical language, NCP-SCP chief Sharad Pawar says "Five languages have been given the status of elite languages and Marathi is one of them. This is very important for the Marathi language and… pic.twitter.com/poeRNKG8rW
— ANI (@ANI) October 4, 2024
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पवार ने कहा- यह फैसला थोड़ा देर से लिया गया, लेकिन महत्वपूर्ण
हालांकि, पवार ने कहा कि यह निर्णय थोड़ा देर से लिया गया था, लेकिन यह महत्वपूर्ण था कि निर्णय लिया गया.
उन्होंने कहा, "आज हमें जो समाचार मिला है, उसके अनुसार मराठी उन पांच भाषाओं में से एक है, जिन्हें कुलीन (इलीट) भाषाओं का दर्जा दिया गया है. यह मराठी और अन्य भाषाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जिन्हें कुलीन भाषाओं का दर्जा दिया गया है. मराठी को कुलीन भाषा का दर्जा दिलाने के लिए सभी ने प्रयास किए. इसमें राजनेता भी शामिल थे, मराठी साहित्य परिषद के लोग भी शामिल थे और अन्य साहित्यकार भी लंबे समय से यह मांग उठा रहे थे."
पवार ने कहा, "यह निर्णय थोड़ा देर से लिया गया है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि यह निर्णय लिया गया है और इससे मराठी के प्रचार और विकास में कई लाभ होंगे. इसके लिए मैं केंद्र सरकार को धन्यवाद देता हूं."
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 5 भाषाओं को दिया है ये दर्जा
गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने को मंजूरी दे दी. भारत सरकार ने 12 अक्टूबर, 2004 को तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित करते हुए "शास्त्रीय भाषाओं" के रूप में भाषाओं की एक नई कैटेगरी बनाने का निर्णय लिया था.
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क्लासिकल भाषा बनने के लिए ये शर्तें होनी चाहिए पूरी
सरकार ने क्लासिकल भाषा के दर्जे के लिए एक मानदंड बनाया है: भाषा अपने प्रारंभिक ग्रंथों/एक हजार साल से अधिक के इतिहास में अत्यधिक प्राचीन होनी चाहिए, प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का एक कलेक्शन होना चाहिए, जिसे बोलने वाली पीढ़ियां एक मूल्यवान विरासत मानती हों, और साहित्यिक परंपरा मूल होनी चाहिए और किसी दूसरी बोलने वाली कम्युनिटी से उधार नहीं ली गई होनी चाहिए.
शास्त्रीय भाषा के दर्जे के लिए प्रस्तावित भाषाओं पड़ताल के लिए नवंबर 2004 में साहित्य अकादमी के तहत संस्कृति मंत्रालय ने एक भाषाई विशेषज्ञ समिति (LEC) बनाया था. नवंबर 2005 में मानदंडों को संशोधित किया गया और संस्कृत को क्लासिकल भाषा घोषित किया गया.
भारत सरकार ने 2004 में तमिल, 2005 में संस्कृत, 2008 में तेलुगु, 2008 में कन्नड़, 2013 में मलयालम और 2014 में ओडिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है.
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