पाकिस्तान: ईशनिंदा मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर धावा बोल रहे प्रदर्शनकारियों की हुई पुलिस से झड़प

    पाकिस्तान स्थित डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को इस्लामाबाद में एक नाटकीय घटनाक्रम में, प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने ईशनिंदा मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट परिसर में धावा बोलने का प्रयास किया.

    Pakistan Protestors storming Supreme Court over blasphemy case clash with police
    पाकिस्तान: ईशनिंदा मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर धावा बोल रहे प्रदर्शनकारियों की हुई पुलिस से झड़प/Photo- ANI

    इस्लामाबाद: पाकिस्तान स्थित डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को इस्लामाबाद में एक नाटकीय घटनाक्रम में, प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने ईशनिंदा मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट परिसर में धावा बोलने का प्रयास किया.

    रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सुप्रीम कोर्ट परिसर तक पहुंचने से रोकने के लिए लाठियां और आंसूगैस का इस्तेमाल किया. आलमी मजलिस तहफ्फुज-ए-नबुवत द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में मांग की गई कि अदालत मुबारक सानी मामले में अपना फैसला पलट दे.

    एक अहमदिया व्यक्ति पर 2019 में ईशनिंदा का आरोप लगा था

    डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले फरवरी में, मुबारक अहमद सानी, एक अहमदिया व्यक्ति पर 2019 में अपने धार्मिक विचारों की वकालत करने वाले पर्चे बांटने के लिए ईशनिंदा का आरोप लगाया गया था, उसे जमानत दे दी गई थी.

    प्रदर्शनकारी भाषणों के लिए साउंड सिस्टम वाले एक वाहन पर मंच बनाकर एक्सप्रेस चौक पर एकत्र हुए. जैसे ही पुलिस बल घटनास्थल पर पहुंचा, उन्होंने पुराने परेड ग्राउंड के गेट के पीछे अधिकारियों को भी तैनात कर दिया. पुलिस की मौजूदगी के बावजूद, प्रदर्शनकारी सुप्रीम कोर्ट की ओर बढ़ने में कामयाब रहे, जिससे पुलिस के साथ झड़प हुई.

    लाठीचार्ज, पानी की बौछारों और आंसूगैस के साथ जवाब दिया

    अधिकारियों ने लाठीचार्ज, पानी की बौछारों और आंसूगैस के साथ जवाब दिया, लेकिन प्रदर्शनकारी संसद भवन और सुप्रीम कोर्ट भवन दोनों तक पहुंच गए. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, बाद में, वे एक्सप्रेस चौक लौट आए, मगरेब की नमाज अदा की और सूर्यास्त से पहले तितर-बितर हो गए.

    पाकिस्तान में, कट्टरपंथी समूहों ने संस्थानों के खिलाफ अपने व्यापक अभियान के तहत न्यायपालिका को धमकी दी है. इन धमकियों को अक्सर न्यायिक फैसलों के विरोध से बढ़ावा मिलता है जिन्हें समूह इस्लामी कानून की उनकी व्याख्या के विपरीत मानते हैं. उदाहरण के लिए, जैसा कि डॉन की रिपोर्ट में बताया गया है, इस्लामवादी गुटों ने सार्वजनिक निंदा, विरोध प्रदर्शन और यहां तक ​​कि प्रत्यक्ष हिंसा के जरिए न्यायाधीशों को निशाना बनाया है.

    न्यायपालिका को धमकी का सामना करना पड़ा

    न्यायपालिका को संगठित रैलियों और सोशल मीडिया अभियानों के माध्यम से धमकी का सामना करना पड़ा है, जिसका उद्देश्य न्यायाधीशों पर दबाव डालना और उनके फैसलों को प्रभावित करना था. ये धमकियाँ न केवल न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमज़ोर करती हैं बल्कि पाकिस्तान की कानूनी प्रणाली के भीतर भय और अस्थिरता के माहौल में भी योगदान करती हैं.

    मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट, डॉन और द एक्सप्रेस ट्रिब्यून जैसे प्रमुख आउटलेट्स के समाचार लेख, और पाकिस्तानी राजनीति पर अकादमिक विशेषज्ञों के विश्लेषण ने कई अवसरों पर इन खतरों और उनके निहितार्थों का विस्तृत विवरण प्रदान किया है.

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