ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के भीतर स्थित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को तबाह कर दिया. सोशल मीडिया और रक्षा विश्लेषकों के बीच अब यह चर्चा तेज हो गई है कि आखिर पाकिस्तान के पास कैसा एयर डिफेंस है, जो भारतीय स्कैल्प मिसाइलों और मिलिट्री ड्रोन की पहचान तक नहीं कर पाया? क्या चीन से खरीदे गए इन हथियारों की गुणवत्ता वाकई में इतनी कमज़ोर है? क्या पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम भी "चीनी टेक्नोलॉजी" पर ही टिका है?
कहां से शुरू हुई परमाणु डर की कहानी?
1980 के दशक की शुरुआत में इजरायल ने इराक की ओसिराक परमाणु फैसिलिटी पर हमला कर दुनिया को चौंका दिया था. उस मिशन से प्रेरित होकर भारत और इजरायल ने भी पाकिस्तान की परमाणु क्षमता को नष्ट करने की योजना बनाई थी. RAW और मोसाद की गुप्त साझेदारी के तहत इस्लामाबाद के पास कहूटा में बन रही पाकिस्तानी न्यूक्लियर फैसिलिटी की जानकारी इकट्ठा की गई.
इस दौरान RAW के एजेंटों ने कहूटा के पास एक सैलून से वैज्ञानिकों के बाल इकट्ठा किए. जांच में रेडियोएक्टिव तत्वों की पुष्टि हुई और यह साफ हो गया कि पाकिस्तान न्यूक्लियर हथियार की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.
भारत-इजरायल का संयुक्त प्लान क्यों रुका?
1984 में जब यह खबर अमेरिका के मीडिया में लीक हुई, CIA ने पाकिस्तान को सतर्क कर दिया और भारत-इजरायल की संयुक्त योजना रोक दी गई, लेकिन आज दशकों बाद एक बार फिर पाकिस्तान की रक्षा तैयारियों पर सवाल उठने लगे हैं.
चीन का माल, लेकिन सुरक्षा फेल
पाकिस्तान के पास चीन से खरीदे गए HQ-9 और LY-80/HQ-16 जैसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम हैं, लेकिन भारतीय हमले में ये पूरी तरह नाकाम साबित हुए. साथ ही, पाकिस्तान के इलेक्ट्रॉनिक जैमर और अर्ली वार्निंग सिस्टम भी स्कैल्प मिसाइलों को नहीं पकड़ पाए.
पाकिस्तान की तरफ से इस्तेमाल किए गए JF-17 और F-16 फाइटर जेट भी बेअसर रहे. भारतीय सेना ने दो JF-17 और एक F-16 को मार गिराया. चीन से आयात किए गए J-10C फाइटर जेट भी पूरी तरह असहाय नज़र आए.
पाकिस्तान की कमजोर कड़ी
SIPRI की रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान के 81% हथियार चीन से आते हैं, जिनमें रडार, मिसाइल, एयर डिफेंस सिस्टम और फाइटर जेट शामिल हैं, लेकिन हालिया घटनाएं दिखाती हैं कि भारतीय सेना की आधुनिक टेक्नोलॉजी और सामरिक कौशल के सामने ये हथियार टिक नहीं पाए. आपको बता दें कि पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम भी यूरोप और चीन से चुराई गई डिजाइनों और तकनीक पर निर्भर था.
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