पनडुब्बी रोधी क्षमता बढ़ाने के बजाय सिरदर्द बने Z-9EC हेलीकॉप्टर, पाकिस्तान नेवी की रणनीतिक कमजोरी उजागर

    समुद्री सुरक्षा और पनडुब्बी रोधी अभियानों में तेजी लाने के इरादे से पाकिस्तान ने वर्षों पहले चीन से हार्बिन Z-9EC एंटी-सबमरीन वॉरफेयर (ASW) हेलीकॉप्टर मंगवाए थे. लेकिन अब ये वही हेलीकॉप्टर पाकिस्तानी नौसेना की कमजोरी का बड़ा कारण बनते जा रहे हैं.

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    Image Source: Social Media

    समुद्री सुरक्षा और पनडुब्बी रोधी अभियानों में तेजी लाने के इरादे से पाकिस्तान ने वर्षों पहले चीन से हार्बिन Z-9EC एंटी-सबमरीन वॉरफेयर (ASW) हेलीकॉप्टर मंगवाए थे. लेकिन अब ये वही हेलीकॉप्टर पाकिस्तानी नौसेना की कमजोरी का बड़ा कारण बनते जा रहे हैं. तकनीकी खामियों और परिचालन अड़चनों ने इन हेलीकॉप्टरों को 'स्ट्रैटेजिक एसेट' की बजाय 'तकनीकी बोझ' में बदल दिया है.

    पाकिस्तानी नौसेना के लिए खरीदे गए Z-9EC हेलीकॉप्टर कई अभियानों में संतोषजनक प्रदर्शन करने में विफल रहे हैं. रिपोर्टों के अनुसार, यह प्लेटफॉर्म न सिर्फ़ अपने ऑनबोर्ड सिस्टम के साथ बेहतर तालमेल बैठाने में असफल रहा है, बल्कि रोटर ब्लेड और टेल रोटर जैसी महत्वपूर्ण तकनीकों में लगातार गड़बड़ियां सामने आई हैं.

    ऑपरेशन में बार-बार फेल, भरोसे के काबिल नहीं Z-9EC

    इन खामियों ने हेलीकॉप्टर की उड़ान सीमा और मिशन अवधि को इतना सीमित कर दिया है कि वे अब अधिक समय तक आसमान में टिक नहीं सकते. यह स्थिति उन हेलीकॉप्टरों के लिए चिंताजनक है जिनका इस्तेमाल समुद्र में पनडुब्बी जैसी अदृश्य चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए किया जाता है.

    F-22P फ्रिगेट के साथ नहीं बन पाई ‘केमिस्ट्री’

    Z-9EC की सबसे बड़ी विफलताओं में से एक है इसका पाकिस्तानी नेवी के F-22P जुल्फिकार क्लास वॉरशिप के साथ समन्वय न बिठा पाना. यही वह संयोजन था जिसे पाकिस्तान ने ASW ऑपरेशन के लिए अहम माना था. लेकिन तकनीकी इंटीग्रेशन की नाकामी ने इसे एक अधूरा और गैर-प्रभावी प्लेटफॉर्म बना दिया है. 2006 में चीन से इन हेलीकॉप्टरों की खरीद के समय दावा किया गया था कि वे अत्याधुनिक पल्स-कम्प्रेशन रडार, लो-फ्रीक्वेंसी सोनार, और रडार वार्निंग सिस्टम से लैस हैं. लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इनमें पनडुब्बी खोजने की वह दक्षता नहीं है जिसकी पाकिस्तान को उम्मीद थी.

    भारतीय पनडुब्बियों के सामने कमजोर पड़ता पाकिस्तान

    Z-9EC की इन तकनीकी कमियों के कारण पाकिस्तान अब भारतीय नौसेना के शक्तिशाली पनडुब्बी बेड़े का सामना करने में मुश्किल महसूस कर रहा है. यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब बात आती है रणनीतिक जल मार्गों जैसे ओमान की खाड़ी, कराची और ग्वादर के तटीय क्षेत्र की सुरक्षा की. Z-9EC हेलीकॉप्टरों की कार्यक्षमता सीमित हो जाने से पाकिस्तानी नौसेना की सतही सुरक्षा कमजोर हुई है और पनडुब्बी हमलों के प्रति उसकी संवेदनशीलता बढ़ गई है. इससे पाकिस्तान की समुद्री सुरक्षा रणनीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं. 

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