अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ एक नई व्यापारिक साझेदारी का ऐलान करते हुए कहा है कि दोनों देश मिलकर तेल भंडार विकसित करेंगे, और यह संभव है कि भविष्य में पाकिस्तान अपने दुश्मन देश को भी तेल निर्यात करे.
हालांकि ट्रंप के इस दावे पर खुद पाकिस्तानी नागरिकों ने भरोसा नहीं किया और उनकी घोषणा को सोशल मीडिया पर जमकर मजाक का विषय बना लिया गया. पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर लोग इस बयान पर व्यंग्य कर रहे हैं, और डील को 'कॉमेडी शो' करार दे रहे हैं.
पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर क्या बोले लोग?
ट्रंप की घोषणा के बाद कई पाकिस्तानी यूजर्स ने ट्विटर और अन्य प्लेटफॉर्म पर प्रतिक्रियाएं दीं. हुसैन नदीम नामक एक यूजर ने ट्रंप के बयान पर कटाक्ष करते हुए लिखा, हमें तो अब पता चला कि हमारे यहां तेल है, ट्रंप साहब का शुक्रिया. शाहिदा कुरैशी ने पोस्ट किया, यह अब पूरी तरह से एक कॉमेडी शो बन चुका है. एक और यूजर ने तंज कसा, कहीं ये ईरान का तेल तो नहीं, जिसे अमेरिका को बेचकर पाकिस्तान कहे कि ये हमारा है?
चीन-पाक रिश्तों पर असर की आशंका
कुछ यूजर्स ने यह चिंता भी जताई कि अमेरिका के साथ इस तरह की डील पाकिस्तान-चीन संबंधों को प्रभावित कर सकती है. एक कमेंट में कहा गया, शायद अब चीन पाकिस्तान पर उतना भरोसा नहीं करेगा, हालांकि भारत के कारण उसका समर्थन बना रहेगा, लेकिन शक की दरारें पड़ चुकी हैं. कई यूजर्स ने यह भी संकेत दिया कि पाकिस्तान अब अमेरिका की ओर झुकाव दिखा रहा है, जो चीन के लिए चिंता का विषय हो सकता है.
तेल की असलियत पर सवाल
हालांकि कुछ लोग ट्रंप की बात से इत्तेफाक भी रखते हैं. एक सोशल मीडिया यूजर ने दावा किया, इमरान खान के कार्यकाल में कराची के पास समुद्र में तेल भंडार मिला था, लेकिन तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल बाजवा और अमेरिकी दबाव के चलते उस समय ड्रिलिंग रोक दी गई. हालांकि इस दावे की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है, लेकिन यह दिखाता है कि तेल को लेकर साजिश और रहस्य की कहानियां पाकिस्तान में खूब प्रचलित हैं.
घोषणा ऐसे समय में आई जब भारत-पाकिस्तान तनाव में थे
डोनाल्ड ट्रंप की यह घोषणा भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुई सैन्य तनातनी के बाद सामने आई है. 7 मई को भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलाम सेक्टर में आतंकी हमले के बाद 'ऑपरेशन सिंदूर' की शुरुआत की थी. इसके जवाब में चार दिन तक भारी गोलीबारी और सैन्य संघर्ष चलता रहा. 10 मई को पाकिस्तान ने संघर्ष विराम की पहल की, जिसके बाद दोनों देशों ने शांति बहाल करने पर सहमति जताई. ऐसे संवेदनशील माहौल में ट्रंप की व्यापारिक घोषणा को रणनीतिक संकेतों और सियासी चालबाजियों के रूप में भी देखा जा रहा है.
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